भारत के तीन काशियों में एक है उत्तरकाशी. यहाँ भगवान महादेव का भव्य मंदिर है. Kashi Vishvnath Temple uttarkashi. बनारस और गुप्तकाशी के साथ ही यहाँ भी महादेव काशी विश्वनाथ के रूप में पूजे जाते हैं. यह मंदिर भागीरथी नदी के तट पर शहर के बीचों-बीच है. मान्यता है कि गंगोत्री धाम जाने से पहले यहाँ पहुंचकर बाबा विश्वनाथ के दर्शन करना आवश्यक है.
पुराणों में उत्तरकाशी का उल्लेख बाड़ाहाट के रूप में पाया जाता है. पौराणिक आख्यानों में ही इसे परशुराम द्वारा स्थापित बताया गया है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राजा भागीरथ ने उत्तरकाशी में ही ब्रह्मा की साधना कर उन्हें प्रसन्न किया और गंगा को धारण करने का वरदान प्राप्त किया था.
मंदिर प्रांगण में मौजूद त्रिशूल के रूप में मौजूद पार्वती के बारे में मान्यता है कि महिसासुर का वध करने के बाद माँ दुर्गा द्वारा पृथ्वी पर फेंका गया त्रिशूल यहीं आकर गिरा है. तभी से यहाँ शक्ति स्तम्भ के रूप में दुर्गा की पूजा की जाती है. उत्तरकाशी में भगवान शिव के इस मंदिर का महात्म्य जानने के लिए देखिये हमारी विस्तृत पोस्ट–
महाशिवरात्रि का त्यौहार उत्तरकाशी के काशी विश्वनाथ मंदिर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस मौके पर यहाँ देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं. इस साल मनाये गए शिवरात्रि के पर्व की तस्वीरें हमें भेजीं हैं मयंक आर्या ने.
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पौड़ी के एकेश्वर ब्लॉक के बिंजोली गाँव से ताल्लुक रखने वाले मयंक आर्या की परवरिश और शिक्षा-दीक्षा दिल्ली में ही हुई है. उत्तराखण्ड से गहरा सरोकार रखने वाले मयंक एक बेहतरीन फोटोग्राफर और लेखक के तौर पर जाने जाते हैं. उनका कैमरा और कलम दोनों ही उत्तराखण्ड के विभिन्न पहलुओं को अभिव्यक्त करते रहते हैं.
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