Featured

जै जिया के जयकारे से गूंजा रानीबाग

मकर संक्राति की सुबह कड़-कड़ाती ठंड में स्नान के साथ समाप्त होता जियारानी का मेला. इससे पिछली रात रानीबाग़ में गार्गी नदी किनारे में बैर गाये जाते हैं जागर लगाई जाती है. हुड़का, मसकबीन, ढोल, दमवा, थाली जैसे पारंपरिक वाद्यों के साथ लोग रातभर जिया रानी के अद्भुत शौर्य की गाथा गाते हैं.
(Jiyarani Makar Sankranti Uttarakhand)

भिकियासैंण, भतरौजखान, रानीखेत, सल्ट, चौखुटिया, रामनगर, गढ़वाल आदि से यहां कत्यूर शासकों के वंशज एकत्रित होते हैं. अलग-अलग भाषा, बोली, पहनावे और खानपान के बावजूद जियारानी के प्रति आस्था इन सबको जोड़कर रखती है.

जिया रानी कुमाऊँ की जनदेवी और न्याय की देवी मानी जाती हैं. उनका मूल नाम मौला देवी था. कत्यूर क्षेत्र में मां के लिये प्रयोग में लाया जाने वाला शब्द जिया है इसलिए उन्हें जिया रानी कहा जाता है.

माना जाता है कि गौला नदी के तट पर उन्होंने बारह वर्ष तक राज किया. यहां जब रुहेलों ने आक्रमण किया तो जियारानी ने समर्पण से साफ इंकार कर दिया तब युद्ध हुआ. जियारानी स्वयं मैदान में लड़ी. तुर्को के छक्के छूट गये और वे जान बचाकर भागे.

एक रात रुहेलों ने धोखे से रानी पर अचानक आक्रमण कर दिया. रानी लड़ते-लड़ते शहीद हुई. कहते हैं पत्थर पर जिया का हीरे-मोती जड़ा हुआ लहंगा फैला था. तुर्कों ने उसे उठाना चाहा तो वह पत्थर का हो गया. ये पत्थर आज भी है.

वीरांगना जियारानी के नाम पर जिया रानी का मेला प्रत्येक वर्ष लगता है. यहां हर साल कत्यूरों के वंशज मकर संक्रांति से पहली रात एकत्रित होते हैं और माँ जिया को याद करते हैं. तड़के सुबह नदी में स्नान करते हैं और अपने अपने गावों को लौट चलते हैं.
(Jiyarani Makar Sankranti Uttarakhand)

मकर संक्रांति के दिन रानीबाग़ में गौला नदी के तट पर यज्ञोपवीत संस्कार करवाना शुभ माना जाता है. इस दिन आस-पास के अनेक गावों के लोग यज्ञोपवीत संस्कार के लिये यहां आते हैं.

इस वर्ष भी रानीबाग़ में कत्यूरों के वंशज मां जिया को याद करने एकत्रित हुये. इस वर्ष कोरोना के कारण अन्य वर्षों की तुलना में लोग कम थे लेकिन श्रद्धा में कोई कमी न थी.
(Jiyarani Makar Sankranti Uttarakhand)

काफल ट्री डेस्क

इन्हें भी पढ़ें:
मकर संक्रांति: रानीबाग में वीरांगना जियारानी की पूजा

उपनयन संस्कार की परंपरा है रानीबाग के उत्तरायणी मेले में

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र का विकास व रणनीतियाँ

उत्तराखंड की भौगोलिक, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विशेषताएं इसे पारम्परिक व आधुनिक दोनों प्रकार की सेवाओं…

1 week ago

जब रुद्रचंद ने अकेले द्वन्द युद्ध जीतकर मुगलों को तराई से भगाया

अल्मोड़ा गजेटियर किताब के अनुसार, कुमाऊँ के एक नये राजा के शासनारंभ के समय सबसे…

2 weeks ago

कैसे बसी पाटलिपुत्र नगरी

हमारी वेबसाइट पर हम कथासरित्सागर की कहानियाँ साझा कर रहे हैं. इससे पहले आप "पुष्पदन्त…

2 weeks ago

पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद

आपने यह कहानी पढ़ी "पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप". आज की कहानी में जानते…

2 weeks ago

चतुर कमला और उसके आलसी पति की कहानी

बहुत पुराने समय की बात है, एक पंजाबी गाँव में कमला नाम की एक स्त्री…

2 weeks ago

माँ! मैं बस लिख देना चाहती हूं- तुम्हारे नाम

आज दिसंबर की शुरुआत हो रही है और साल 2025 अपने आखिरी दिनों की तरफ…

2 weeks ago