एडवर्ड जेम्स कॉर्बेट जिन्हें दुनिया जिम कॉर्बेट के नाम से जानती है, का जन्म 25 जुलाई 1875 को नैनीताल में हुआ. जिम, क्रिस्टोफर व मेरी जेन कॉर्बेट की आठवीं संतान थे. जिम का बचपन नैनीताल में बीता और उन्होंने अपनी शिक्षा भी यहीं से प्राप्त की. कॉर्बेट सर्दियों का मौसम कालाढूंगी में तथा गर्मियां नैनीताल में बिताते थे. ये दोनों स्थान प्रकृति के अत्यंत निकट थे और इस बात ने जिम की मानसिकता को बहुत प्रभावित किया एवं उन्हें वनों और वन्यजीवों से गहरा लगाव हो गया. (Jim Corbett Museum Kaladhungi)
अपनी उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद जिम ने पहले रेल विभाग में और उसके बाद सेना में काम किया. कई वर्षों के बाद जिम पुनः नैनीताल व कालाढूंगी लौट आये. उनके जीवन का यह समय उनकी पुस्तकों में विस्तार से दर्शाया गया है. जिम एक अच्छे शिकारी, प्रकृतिविद व लेखक तो थे ही, साथ ही वे एक साधारण व दयावान व्यक्ति भी थे.
जिम ने कभी विवाह नहीं किया और अपना अधिकाँश जीवन अपनी बहन मैगी के साथ बिताया. सन 1947 में भारत की स्वतंत्रता के कुछ माह बाद जिम और मैगी ने केन्या में बसने का निर्णय लिया. जिम द्वारा लिखित अधिकाँश पुस्तकें उनके केन्या वास के दौरान ही प्रकाशित हुईं. केन्या में ही उन्होंने अपनी अंतिम साँसें लीं. आज जिम कॉर्बेट प्रकृति और वन्यजीवन संरक्षण का पर्यायवाची बन चुके हैं.
यह इबारत जिम कॉर्बेट के उत्तराखंड के नैनीताल जिले के छोटे से कस्बे कालाढूंगी में स्थित जिम कॉर्बेट संग्रहालय (Jim Corbett Museum Kaladhungi) में लिखी हुई है. इस संग्रहालय में जिम कॉर्बेट के जीवन से सम्बंधित अनेक वस्तुएं प्रदर्शित की गयी हैं. कालाढूंगी से जिम का रिश्ता बहुत भावनात्मक था और वे भारत छोड़ कर जाने के बाद भी इस गाँव के बाशिंदों की मदद करते रहे. उनके जीवन की सादगी और विराटता यहाँ धरी चीज़ों को देख कर समझ में आती है.
आइये आपको इस संग्रहालय की सैर कराते हैं.
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शानदार...
bahut sundar dhanyavad