प्रेमचंद के जन्मदिन पर ‘जश्न-ए-बचपन’ के बच्चों का कमाल

वर्तमान समय में प्रेमचंद की कहानियों को लेकर एक तीखी बहस तब छिड़ गई जब हंस पत्रिका के एक बड़े संपादक ने भावावेश में आकर प्रेमचंद की कुछ कहानियों को छोड़कर बाक़ी सब को कूड़ा कह दिया.  इस विषय को लेकर साहित्यिक गलियारों में बहुत बहस हुई व साहित्यकारों द्वारा इस कथन की भर्त्सना व निंदा भी की गई. साथ ही प्रेमचंद व उनकी कहानियों को दुबारा गहराई से पढ़े जाने की पहल भी शुरू हो गई. प्रेमचंद की कहानियों व उनके सामाजिक सरोकारों की समझ को बच्चों तक पहुँचाने के लिए उत्तराखंड के सरकारी शिक्षकों से जुड़े ‘रचनात्मक शिक्षक मंडल’ ने 26 जुलाई से 31 जुलाई तक प्रेमचंद के जन्मदिवस को विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से बच्चों तक उन्हीं के व्हाट्सऐप ग्रुप ‘जश्न-ए-बचपन’ द्वारा पहुँचाने की कोशिश की.
(Jashn e Bachpan Painting)

26 जुलाई को पेशेवर चित्रकार सुरेश लाल जी ने बच्चों को ईदगाह कहानी पढ़ने के बाद कहानी पर आधारित चित्र कुछ इस तरह बनाने को कहा कि वह कहानी का सार बयॉं करें. बच्चों ने बेहद सुंदर चित्रों के माध्यम से ईदगाह की कहानी को पेंटिंग व रंगों के माध्यम से काग़ज़ पर उतार दिया. ऐसा प्रतीक हो रहा था मानो एक-एक चित्र प्रेमचंद की कहानी ईदगाह का गवाह हो.

27 जुलाई का दिन संगीत का था जिसे रूद्रपुर से अमितांशु जी ने संचालित किया. इस दिन बच्चों के साथ मिलकर प्रेमचंद की कहानी ईदगाह व बूढ़ी काकी के संवादों को संगीतमय तरीक़े से प्रस्तुत करने की कोशिश की गई. भाषा, भाव व भंगिमा के माध्यम से बच्चों को कहानी के प्रस्तुतीकरण के गुर सिखाए गए. कहानी में तबले व अन्य वाद्ययंत्रों के माध्यम से किस तरह संगीत पिरोया जा सकता है यह इस दिवस की मुख्य विशेषता थी जिसे एक्सपर्ट के साथ ही बच्चों ने बखूबी निभाया.

28 जुलाई का दिन शुरू हुआ बच्चों के प्यारे विज्ञान कथा लेखक देवेन मेवाड़ी जी के साथ. मेवाड़ी जी ने बच्चों को प्रेमचंद की कहानियों में आए अनेक पशु-पक्षियों के बारे में बताया व बातें की तथा यह समझने की कोशिश की कि प्रेमचंद किस तरह अपनी कहानियों के माध्यम से मनुष्य व पशु-पक्षियों की दोस्ती को बयॉं करते हैं. ‘पूस की रात’ का जबरा कुत्ता हो या ‘दो बैलों की कथा’ के हीरा और मोती, प्रेमचंद की कहानियों में ऐसे बहुत से पशु-पक्षियों का उल्लेख मिलता है. मेवाड़ी जी न सिर्फ बच्चों को प्रेमचंद की कहानियों की सैर पर ले गए बल्कि बच्चों से प्रेमचंद द्वारा कहानी में प्रयोग किये गए जानवरों के चित्र बनाने, उन पर कहानी व कविता लिखने के साथ-साथ उन्हें चिट्ठी लिखने के एक नायाब प्रयोग में भी शामिल रहे. इन तमाम क्रियाकलापों को बच्चों ने बहुत पसंद किया और अपनी ढेरों प्रतिक्रियाएँ मेवाड़ी जी को ग्रुप में भेजी.

29 जुलाई का दिन वरिष्ठ अध्यापक व समीक्षक महेश पुनेठा जी के मार्गदर्शन में संचालित हुआ जिसमें एक्सपर्ट व ग्रुप के सदस्यों द्वारा यह तय किया गया कि 31 जुलाई तक प्रेमचंद के जन्मदिवस पर एक विशेषांक निकाला जाए जिसमें बच्चे प्रेमचंद और उनकी कहानियों पर संपादकीय, आलेख, निबन्ध, अवलोकन, जीवनी, समीक्षा, संस्मरण, साक्षात्कार, कविता, कहानी, यात्रावृतांत, परिचर्चा, नाटक, डायरी आदि विधाओं के माध्यम से अपने लेखों को साझा कर प्रेमचंद के जन्मदिन को यादगार बनाएँ.
(Jashn e Bachpan Painting)

30 जुलाई का दिन सिने समीक्षक संजय जोशी जी द्वारा संचालित किया गया जिसमें बच्चों द्वारा पूर्व में प्रेमचंद की कहानियों पर बनाए गए वीडियो फ़िल्म की समीक्षा की गई. संजय जी ने बच्चों को प्रेमचंद की किसी भी पसंदीदा कहानी को मोबाइल की मदद से लगभग 5 मिनट का वीडियो पाठ बनाने का टास्क दिया था जिसे बच्चों ने ईदगाह व बड़े भाई साहब जैसी कहानियों के नाट्य रूपांतरण के माध्यम से एक्सपर्ट को भेजा. कहानियों के नाट्य रूपांतरण ने ऐसी सजीवता पैदा की कि ग्रुप के सभी सदस्यों को कहानी से जुड़ने में और भी आसानी व सहजता महसूस हुई. संजय जी द्वारा फ़िल्मांकन की कुछ बारीकियों और तकनीकियों से बच्चों को रूबरू करवाया गया तथा बच्चों से भी जानने की कोशिश की गई कि उनके साथियों द्वारा बनाए गए वीडियोज में क्या-क्या तकनीकी ख़ामियाँ हैं तथा क्या कुछ अच्छा है.

31 जुलाई यानी प्रेमचंद के जन्मदिवस पर बच्चों द्वारा पुनेठा जी के संरक्षण में तैयार किये जा रहे प्रेमचंद विशेषांक डिजिटल पत्रिका का विमोचन किया जाएगा जिसको लेकर जश्न-ए-बचपन की पूरी टीम बेहद उत्साहित है.

प्रेमचंद के जन्मदिन को यादगार बनाने के लिए रचनात्मक शिक्षक मण्डल ने रामनगर के ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के लिए 10 प्रेमचंद बाल पुस्तकालय खोलने का भी निर्णय लिया है जिसके लिए विद्वज्जन पुस्तकालय हेतु आर्थिक मदद या बालोपयोगी कहानी की पुस्तकें दे सकते हैं साथ ही यदि कोई व्यक्ति चाहे तो शिक्षक मण्डल से सलाह मसविरा करके अपने क्षेत्र में पुस्तकालय संचालन की जिम्मेदारी भी ले सकता है.
(Jashn e Bachpan Painting)

नानकमत्ता (ऊधम सिंह नगर) के रहने वाले कमलेश जोशी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक व भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्ध संस्थान (IITTM), ग्वालियर से MBA किया है. वर्तमान में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के पर्यटन विभाग में शोध छात्र हैं.

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