उत्तराखंड की हल्द्वानी जेल पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है. चर्चा में आने कारण कोई आपराधिक घटना या किसी आरोपी का फरार होना नहीं है बल्कि जेल टूरिज्म जैसी एक व्यवस्था की शुरुआत करने जैसा एक फैसला है. ख़बर है हल्द्वानी जेल में अब कोई भी बिना अपराध किये एक दिन गुज़ार सकता है बशर्ते उसे 500 रूपये का भुगतान करना होगा.
(Jail Tourism Haldwani Prison Uttarakhand)
अब सवाल है कि कोई पैसे देकर एक रात जेल में क्यों रहना चाहेगा. दरसल यह ज्योतिष का चक्कर बताया जा रहा है. दैनिक भास्कर की एक खबर के अनुसार ग्रह-नक्षत्र और कुंडली में यकीन रखने वाले लोग जानते हैं कि अगर आपकी कुंडली में बंधन योग है, तो आपके जेल जाने की संभावना रहती है. इससे बचने के लिए लोग हजारों रुपए देकर जेल में रहने जाते हैं.
दैनिक जागरण पंचांगकार आचार्य डा. रमेश चंद्र जोशी के हवाले से बताता है कि भारतीय ज्योतिष शास्त्र के वृहद् जातक, जातक तत्व, उत्तर कालामृत आदि ग्रन्थों में जेल (बंधन) दोष के बारे में विस्तार से लिखा है. जातकालंकार ग्रन्थ के अनुसार यदि सभी अशुभ ग्रंथ 2,5,9 व 12वें भाव में स्थित हो तो वह मनुष्य अपने जीवन में इन ग्रहों की महादशा व अंतरदशाओं में गिरफ्तार होकर जेल अवश्य जाता है. यदि उस मनुष्य के जन्म, लग्न, मेष, वृष व धनु होता है तो उसे लंबे समय तक जेल में रहना पड़ सकता है. यदि जन्म लग्न इससे भिन्न हो तो उसे कुछ समय बाद जेल से छुटकारा मिल जाता है.
(Jail Tourism Haldwani Prison Uttarakhand)
राष्ट्रीय मीडिया ने हल्द्वानी जेल में 500 रूपये देकर एक रात गुजारने वाली खबर की पुष्टि की है. दैनिक भास्कर ने लिखा है –
जेल के डिप्टी अधीक्षक सतीश सुखीजा ने बताया कि हल्द्वानी जेल 1903 में बनाई गई थी. इसके एक हिस्से में अब भी छह स्टाफ क्वॉटर्स वाला हथियार-घर है जो लंबे समय से खाली पड़ा है. अब जेल प्रशासन इसे नई योजना के लिए तैयार कर रहा है. उन्होंने बताया कि शीर्ष अधिकारियों की तरफ से जेल प्रशासन को लगातार कुछ लोगों के नाम भेजे जाते थे और आदेश दिया जाता था कि उन्हें जेल बैरेक में कुछ समय बिताने दिया जाए। इन लोगों को कैदियों की यूनिफॉर्म दी जाती है और जेल की किचन में बना खाना भी दिया जाता है। इस प्रक्रिया को अब योजनाबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा.
दैनिक भास्कर
दैनिक जागरण ने अपनी खबर में 500 रूपये में जेल में कटने वाली रात के विषय में लिखा है कि जेल में बने लॉकअप में व्यक्ति को डाला जाएगा जहां उसे अन्य कैदियों की तरह कम्बल मिलेगा. सुबह आने पर दिन और रात दो टाइम का जेल का खाना भी मिलेगा.
इस ख़बर के बाद लोग तरह-तरह की बातें कह रहे हैं हालांकि उत्तराखंड पुलिस इसे अपना यूनिक कांसेप्ट मान रही है. वैसे हल्द्वानी जेल का अपना एक इतिहास है. यह जेल साल 1903 में बनी थी. 14 दिसंबर 1923 को सुल्ताना डाकू को नजीबाबाद जिले के जंगलों से गिरफ्तार कर हल्द्वानी की जेल में बंद कर दिया. सुल्ताना के साथ उसके साथी पीताम्बर, नरसिंह, बलदेव और भूरे भी पकड़े गए थे. नैनीताल की अदालत में सुल्ताना डाकू पर मुकदमा चलाया गया और इस मुकदमे को नैनीताल गन केस कहा गया. केस में सुल्ताना डाकू को फांसी की सजा सुनाई गयी. हल्द्वानी की जेल में 8 जून 1924 को जब सुल्ताना को फांसी पर लटकाया गया उसे अपने जीवन के तीस साल पूरे करने बाकी थे.
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