कोटभ्रामरी मंदिर. फोटो: जयमित्र सिंह बिष्ट
उत्तराखण्ड (Uttarakhand) के पर्वतीय इलाकों में लगाई जाने वाली जागर (Jagar) के अनेक रूप हैं. इन में मुख्यतः लोकदेवताओं को पूजा जाता है और संगीत तथा शब्दों की मदद से माध्यम पर उतर आने वाले देवता से परेशानियों का कारण पूछा जाता है.
जागर लगाने वाला मुख्य गायक अर्थात जगरिया सबसे पहले काफी देर तक लोकमानस में व्याप्त अनेक देवी-देवताओं, गुरु-ऋषिओं, भूत-प्रेतों, प्रकृति के मूल तत्वों इत्यादि का आह्वान करता है.
इस आह्वान की शाब्दिक छटा हमारी सुसंपन्न सांस्कृतिक और भाषिक विरासत का भी बहुत बड़ा दस्तावेज है. गंगू रमौल की जागर की शुरुआत में किये जाने वाले इस आह्वान को देखिये –
धरती माता तुम्हारा ध्यान जगे.
ऊंचे आकाश तुम्हारा ध्यान जगे.
दिन के सूर्य, रात्रि के चंद्रमा तुम्हारा ध्यान जगे.
बूढ़े वासुकि, माँ नागिन तुम्हारा ध्यान जगे. कालीनाग, पिंगलनाग, हुंकारनाग, फुंकारनाग, शिशुनाग, विषुनाग तुम्हारा ध्यान जगे.
शिखर के मूलनारायण, सनीगाड़ के नौलिंग, भनार के बज्रनारायण तुम्हारा ध्यान जगे.
गुरु गोरखनाथ, ओंकारनाथ, त्रिलोकीनाथ, केदारनाथ, बद्रीनाथ, चूली के चंचलनाथ तुम्हारा ध्यान जगे.
मल्लिकार्जुन, मलयनाथ, गुरु खंडनाथ, गुरु कमलनाथ तुम्हारा ध्यान जगे.
सिला के सिद्ध गुरु, सिलगढ़ी के सिंहनाथ, असुर मोस्ट्या, बलिराज घाणदेवता, खोली के गणेश तुम्हारा ध्यान जगे.
ऊंचे झांकर सैम, गहरे गैराड़ तुम्हारा ध्यान जगे.
दयालु ठाकुर बयाली सैम जी तुम्हारा ध्यान जगे.
पैदास का गोरिया, बट्टा का लोड़ीया, सिला के कलसिण, दूनसला के भूमियाँ, नाभिनान के नौल देवता तुम्हारा ध्यान जगे.
चिटमिटाऊँ के भेलुवा, रक्त के कलुवा तुम्हारा ध्यान जगे.
चौंसठ योगिनियाँ, बावन वीरो तुम्हारा ध्यान जगे.
जागेश्वर के जागनाथ, बागेश्वर के बाघनाथ तुम्हारा ध्यान जगे.
भूत भक्षिणी, पिशाच भक्षिणी, नथ वाली, घुमटी वाली, अन्धकार स्वरूपिणी, प्रकाश स्वरूपिणी, काली-महाकाली तुम्हारा ध्यान जगे.
पूरब की कालिका, पश्चिम की मालिका, उत्तर की ह्यूँला दक्षिण की पुन्यागिरि माता तुम्हारा ध्यान जगे.
आरुणी सैम, बारूणी सैम, तल्लो सैम. मल्लो सैम, गहरो सैम, अगहरो सैम, दुग्ध-तालाब, नंदा पर्वत तुम्हारा ध्यान जगे.
आरुणी परिहार के नाती, बारूणी परिहार के नाती, गर्तखंभ चौहान के नाती, बूढ़े गंगू रमोला के पुत्र, इजुला के कुमार, बिजुला के लाडले, श्रीकृष्ण के कृपापात्र, बद्रीनाथ के राजा, दो भाई सिदुवा-बिदुवा तुम्हारा ध्यान जगे.
बाईस बहिन परियो तुम्हारा ध्यान जगे.
नौ बहन कुबालियो तुम्हारा ध्यान जगे.
नौ सौ नागिनियो, चौसठ योगिनियो, सोलह सौ आछरियो तुम्हारा ध्यान जगे.
खेटूं की हवा, पिन्नू के भराड़ी, सोलह सौ हेड़ी, बारह भाई जठिया, सात भाई चनणियां, दो भाई धनकणियां तुम्हारा ध्यान जगे.
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जै हो🙏🙏
लोकगाथाएं अक्सर एक दूसरे से जुड़ी रहती हैं,