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भारत का पहला बैट्समैन

भारतीय के पहले अन्तराष्ट्रीय बल्लेबाज का नाम है रणजी. उन्हीं के नाम से भारत में रणजी ट्राफी का आयोजन भी किया जाता है. क्रिकेट के खुबसूरत शॉट लैग ग्लांस का आविष्कार भी रणजी ने ही किया था. जडेजा वंश के राजकुमार रणजीतसिंह जडेजा का क्रिकेट जगत में नाम रणजी था.

1896 में इंग्लैंड के पास राष्ट्रीय चयनकर्ता नहीं थे. लॉर्ड हैरिस के पास अधिकार था कि वो इंग्लैंड की टीम चुनते थे. लॉर्ड हैरिस रणजी को भारतीय होने के कारण टीम में जगह देने के पक्ष में नहीं थे. इसलिए उन्हें पहले टेस्ट में जगह नहीं दी गई. लेकिन दूसरे टेस्ट में ओल्ड ट्रैफर्ड के मैदान पर रणजी ने पहली बार इंग्लैण्ड की ओर से खेला. आस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गये अपने पहले मैच में रणजी ने पहली पारी में 62 रन और दूसरी में बिना आउट हुये 154 रन बनाये. इससे पहले अपने पहले टेस्ट में इंग्लैण्ड की ओर से शतक लगाने वाले खिलाड़ी डब्लू. जी. ग्रेस थे. टेस्ट क्रिकेट में लंच से पहले सौ रन बनाने वाले पहले खिलाड़ी भी रणजी ही थे. अपने इस मैच में उन्होंने 41 से 154 तक के रन मात्र दो घंटों में बटोर लिये थे.

1897 में रणजी ने अपना पहला विदेशी दौरा आस्ट्रेलिया का किया. विदेश में खेले अपने पहले ही मैच में उन्होंने 175 रन बना डाले. अपने पहले घरेलू और विदेशी मैच में शतक बनाने का यह कारनामा इसके करीब सौ सालों बाद 2004 में इंग्लैंड के खिलाड़ी एन्ड्रू स्ट्रास ने दोहराया था. 1896 से 1902 के बीच इंग्लैंड के लिये रणजी ने 44.95 की औसत से 989 रन बनाये.

ससेक्स के लिए डेब्यू करने के बाद रणजी ने 10 सीजन में 1000 से ज्यादा रन बनाए. अपने फर्स्ट क्लास करियर में उन्होंने कुल 72 शतक और 109 अर्धशतक बनाए. 1896, 1899,1900 में वो काउंटी सीजन के टॉप स्कोरर रहे. 1899 में उन्हें ससेक्स काउंटी की कप्तानी भी सौंप दी गयी. 1895 से 1904 के बीच उन्होंने हर साल काउंटी सीजन में एक हजार से ज्यादा रन बनाये. प्रथम श्रेणी के मैचों में रणजी ने 24,692 रन बनाये जिसमें 72 शतक शामिल थे.

भारीभरकम शरीर के बावजूद रणजी शानदार फील्डर भी थे. स्लिप में फील्डिंग के दौरान रणजी ने एक सीजन में 19 कैच लपके. रणजी ने अपने फर्स्ट क्लास करियर में कुल 233 कैच पकड़े. 1920 में रणजी ने शिकार के दौरान अपनी एक आँख गवाने के कारण क्रिकेट से संन्यास ले लिया था.

( आकड़े रवि चतुर्वेदी की पुस्तक क्रिकेट के सितारे से )

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Girish Lohani

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