भारत को अमेरिका द्वारा काट्सा कानून से छूट

काट्सा ( countering America’s adversaries through sanctions act) एक अमेरिकी कानून है. जिसे जनवरी 2018 में लागू किया गया. इस कानून का उद्देश्य दंडनीय उपायों के माध्यम से ईरान, रूस और उत्तरी कोरिया की आक्रामकता का सम्मान करना है. यह कानून अमेरिकी राष्ट्रपति को रुसी रक्षा और खुफिया क्षेत्रों से जुड़े व्यक्तियों पर अधिनियम में उल्लेखित 12 सूचीबद्ध प्रतिबंधों में से कम से कम पांच लागू करने का अधिकार देता है. जिनमें एक अमेरिकी राष्ट्रपति को निर्यात लाइसेंस प्रतिबंधित करने का अधिकार भी देता है.

हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस के सम्मलेन में भारत को अमेरिका द्वारा काट्सा से छूट देने की बात कही गयी है. दरअसल अमेरिका का काट्सा भारत और रूस के बीच चल रहे S- 400 वायु रक्षा मिसाइल तंत्र के सौदे को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है, क्योंकि इस कानून के माध्यम से अमेरिका उन देशों को प्रतिबंधित करता है जिसने रूस के साथ रक्षा सहयोग के क्षेत्र में समझौता किया है. लेकिन इस कानून में अब भारत सहित इंडोनेशिया और वियतनाम को छूट देने की बात की जा रही है.

ओबामा प्रशासन के दौरान भारत को रक्षा संबंधी सामरिक भागीदार (स्ट्रेटजिक पार्टनर) का दर्जा दिया गया था जो पारित होने के बाद अप्रासंगिक होता जा रहा था. इस छूट के माध्यम से वह सबसे पहले भारत द्वारा रूस से खरीदे जा रहे S-400 मिसाइल तंत्र की प्रक्रिया को सुगम बनाएगा. इसके साथ ही रूस समर्थित रक्षा उपकरणों की मरम्मत भी आसान बनाएगा.

अमेरिकी दृष्टिकोण से देखा जाये तो यह दक्षिण चीन सागर में चीन का दबदबा, व्यापार युध्द आदि के रूप में चीन को रोकने और इस क्षेत्र में चीन के समक्ष भारत जैसा एक मजबूत प्रतिद्वंदी बनाने जैसे कई सामरिक मुद्दे हल होंगे. इसके अतिरिक्त यह भारत-अमेरिका संबंधों को सुदृढ़ करने की दिशा में अमेरिकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

भारत को काट्सा में मिलने वाली छूट इस बात की ओर संकेत करती है कि बैकडोर डिप्लोमेसी सही तरीके से अपना कार्य कर रही है.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

14 hours ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

14 hours ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

6 days ago

साधो ! देखो ये जग बौराना

पिछली कड़ी : उसके इशारे मुझको यहां ले आये मोहन निवास में अपने कागजातों के…

1 week ago

कफ़न चोर: धर्मवीर भारती की लघुकथा

सकीना की बुख़ार से जलती हुई पलकों पर एक आंसू चू पड़ा. (Kafan Chor Hindi Story…

1 week ago

कहानी : फर्क

राकेश ने बस स्टेशन पहुँच कर टिकट काउंटर से टिकट लिया, हालाँकि टिकट लेने में…

1 week ago