Featured

हुम्ला-जुम्ला के घोड़े: पहाड़ी व्यापारियों के सबसे पसंदीदा घोड़े

आज भी जौलजीबी मेले का नाम सुनते ही लोगों के ज़हन में काली पार, एक खुले मैदान में खड़े घोड़ों की तस्वीर आ जाती है, कतार में खड़े हुम्ला-जुमला के घोड़े. कद में छोटे और व्यवहार में अधिकांश पहाड़ियों जैसे लाटे हुम्ला-जुमला के घोड़े. जेठ का घाम हो या माघ की बर्फीली ठंड हुम्ला-जुमला के घोड़े हमेशा पहाड़ी व्यापारियों के सबसे अच्छे दोस्त रहे हैं. एक समय जौलजीबी मेले की शान हुआ करते थे हुम्ला-जुमला के घोड़े.
(Humli Jumli Horse Jauljibi Fair)

हुम्ला और जुम्ला नेपाल के करनाली राज्य के दो अलग-अलग जिले हैं. सीमांत जिले पिथौरागढ़ में यहां के बहुत से मजदूर आते हैं. हुम्ला-जुम्ला से आये मजदूरों को यहां जुमली कहा जाता है. यहां मिलने वाले घोड़ों को ही हुम्ली-जुम्ली घोड़ा कहा गया. अधिकांशतः इस घोड़े को जुमली घोड़ा कहा जाता है.

विश्व में हिमालयी घोड़े के नाम से विख्यात यह घोड़ा बेहद सीधा और सरल होने के साथ कद में छोटा होता है. जुमली घोड़े का प्रयोग सवारी और मालवाहक दोनों तरह किया जाता है. पहाड़ की कपकपाती ठण्ड से लेकर तराई भाबर की तप्ती गर्मी सहने के कारण यह घोड़ा हमेशा से कुमाऊं और गढ़वाल के लोगों का प्रिय रहा.

फोटो: मनु डफाली

जुमली घोड़े की मांग कुमाऊं के अतिरिक्त गढ़वाल और उत्तर प्रदेश तक खूब थी. जौलजीबी के मेले में व्यापारियों के बीच जुमली घोड़े को लेकर ख़ासी होड़ देखी जा सकती थी. पिछले सालों में जुमली घोड़ा पैंतीस हजार से डेढ़ लाख तक मिलता था. मालवाहक जुमली घोड़े, सवारी वाले जुमली घोड़ों की अपेक्षा सस्ते हुआ करते थे.        

बीते एक दशक में हुम्ला-जुम्ला के घोड़ों का व्यापार लगातार कम होता गया है. मेले में आने वाले व्यापारी इसका मुख्य कारण पहाड़ों में फैला सड़कों का जाल बताते हैं. पन्द्रह-बीस दिन की यात्रा के बाद मेले में पहुंचने वाले घोड़ों के रास्ते में रुकने की जगह से लेकर उनके खाने की घास तक के महंगे होने के कारण अब हुम्ला-जुम्ला के घोड़ों का व्यापार घाटे का सौदा हो चुका है.
(Humli Jumli Horse Jauljibi Fair)

काफल ट्री डेस्क

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार

लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…

5 days ago

भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू

इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …

5 days ago

ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए

तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…

1 week ago

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

1 week ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

2 weeks ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

2 weeks ago