Featured

आजादी के वक्त कुल डेढ़ हजार मकान थे समूचे हल्द्वानी-काठगोदाम में

सन 1947 में हल्द्वानी-काठगोदाम नगरपालिका क्षेत्र में अधिकतम 39 मोहल्ले और 1608 मकान थे. एक हाईस्कूल, एक डाक्टर वाला नागरिक अस्पताल, बाबू मुरली मनोहर की चेयरमैनी वाली नगरपालिका का पुराना दफ्तर, दो कोठरियों वाला रेलवे स्टेशन, खड्ड में बना उसका मुसाफिरखाना और भूमि से चिपका हुआ बाजार था. शहर में टेलीफोन और बिजली जैसा कुछ न था. न बसें थीं, न ट्रक, न यहाँ उनका कोई स्टेशन था. ‘कुमाऊँ मोटर ओनर्स यूनियन’ की खटारा बसें पहाड़ों को चलती थीं. अड्डा भी नहीं था. चार सौ छात्रों वाले एम. बी. हाईस्कूल के हेडमास्टर बाबूलाल गोयल छात्र संख्या का बड़े गर्व के साथ जिक्र किया करते थे. मंगल की पैंठ लोगों की आवश्यकता का अनाज, गुड़, तेल, साग-सब्जी जुटाती थी.

1947 में हल्द्वानी बाजार में कुल 394 मकान थे. इनमें पीपलटोला में 69, साहूकारा लाइन में 29, कारखाना बाजार में 21, भवानीगंज में 1, बढ़ई लाइन में 23, क्ले बाजार में 4, सदर बाजार में 72, अंग्रेज अफसर पियर्सन के नाम पर स्थापित पियर्सनगंज में 15, रामलीला मोहल्ले में 12, मोहल्ला आयल मिल या वर्तमान स्टेशन रोड में 4, रेलवे बाजार में 98, बेट्स गंज में 39, बरेली रोड गार्डन साइड में 110 मकान थे. इनके अतिरिक्त भोटिया पड़ाव में 38, काठगोदाम रोड में 33, राजपुर लाइन नंबर एक में 48, काठगोदाम में 109, रानीबाग में 30, खिचड़ी मोहल्ले में 52, मोची टोले में 39 और बनभूलपुरा की सत्रह लाइनों में 735 मकान थे.

इस स्थिति का अवगाहन करते हुए सन 1942 में नैनीताल के जिलाधिकारी ए. एस. आरिफ अली शाह ने नगरपालिका के तत्कालीन अध्यक्ष डी. के. पाण्डे को लिखे गए एक पत्र में उत्तर में रानीबाग से लेकर दक्षिण में मोटाहल्दू तक एवं पूर्व में सेलजम से लेकर पश्चिम में फतेहपुर तक के सम्पूर्ण क्षेत्र को हल्द्वानी में समाहित किये जाने के औचित्य को स्वीकार किया था.

1984-85 में नगरपालिका क्षेत्र में लगभग 90 मोहल्ले थे जिन्हें 15 वार्डों में विभक्त किया गया था. मकानों की संख्या लगभग आठ हजार हो चुकी थी. आवास-विकास में निर्मित और निर्माणाधीन मकान तथा इंदिरानगर के एक हजार मकान इसके अलावा थे. 1991 में नगर की जनसंख्या 1,02, 744 हो हाई थी. 1999 में हल्द्वानी नगर में कुल 25 वार्ड बन चुके थे.

(डॉ. किरन त्रिपाठी की पुस्तक ‘हल्द्वानी: मंडी से महानगर की ओर’ से साभार)         

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

18 hours ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

7 days ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

1 week ago

इस बार दो दिन मनाएं दीपावली

शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को…

1 week ago

गुम : रजनीश की कविता

तकलीफ़ तो बहुत हुए थी... तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,…

1 week ago

मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा

चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार…

2 weeks ago