काफल ट्री के पाठक उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत और कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य के बीच शुरु हुई राजनैतिक बहस से वाकिफ़ हैं. कुमाऊनी के कुछ शब्दों और कुछ मुहावरों से शुरु हुई यह बहस अब ठेठ कुमाऊनी में हो रही है. राजनैतिक पूर्वाग्रहों को दरकिनार कर इस बहस से उम्मीद की जानी चाहिये कि यह राजनैतिक बहस कुमाऊनी भाषा के विकास में मील का पत्थर साबित होगी. पढ़िये कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य द्वारा हरीश रावत को दिया गया जवाब:
(Harish Rawat and Rekha Arya)
“मारखुली बल्द अलग-थलग पड़ी बाद लै दूर में जाबै पछीन बटी वार करण की आपुंण प्रवत्ति कैं नी छोड़ून. अब दाजू तुम एक पहाड़क चेली कैं बार-बार छेड़ला तो जो पहाड़ नारी सौम्य, सरल और सादगी परिपूर्ण तो हैं लेकिन जब उकैं परेशान करि जाँ तो फिर उकैं लै जवाब दिणंक लिजी मजबूर हुँण पड़ूँ, फिर ऊ नारी कै सीमा लाँघण पणै दाज्यू मैं जांणनूं कि तुमु पै यौ समय दोहरी मार पड़ रै, एक ओर बुढ़ापा दूसर ओर मुख्यमंत्री कुर्सी कैं देखी बटि जो तुमरी लार टपक जैं अब करैं तो करैं क्या. दाज्यू जब तुमल एक नारी जो तुमरि चेली समान छी उन्है उज्याड़ू बकरी जस शब्दों बैटी सुशोभित कर दी तो मैं आपू द्वारा लगाई गई सोशल मीडिया में पोस्टों क जवाब जरूर दिण चाहनूं.
1- आपूल लिखो जब विधानसभा में शक्ति परीक्षण छी तो मैं कैं विश्वास छी कि मेरी चेली कैली कका चिंता नी करो और लेकिन हरी-हरी कागजो में ताकत छूँ. दाज्यू बड़ी विनम्रता बटी कनूं कि यो चेली के मुखल कनी कि तुमर दगड़ छूँ म्यर नैनीसार में ऊँ मातृशक्ति हमर दाज्यू पी.सी.तिवारी और सारे क्षेत्रवासियों कैं जब एक तो जमीन ठगी दी और उल्टा आपूल उनु पै पुलिस वालों हैं लाठी और पड़ै दी तो मैल तो वो दिन ही मनम सोची हय कि मौक मिलते ही जवाब दयूल और शक्ति परीक्षण में मैल अन्तर्रात्माक अवाजल जवाब दी.
दाज्यू हरी-हरी कागजो में ताकत जरूर हैं यौ बात तुमर हबे ज्यादा को समझ सकूँ किलै कि मुख खुलाला तो मजबूर हबै खोलल जरूर हरी-हरी कागजों लालच तुमल कैक-कैक द्वारा भिजवा अगर कला तो मैं नाम खोली दयूल यक लिजी मर्यादा तोड़ है मकै मजबूर नी करो मैं पहाड़न_छू_छेड़ला तो छोड़ूल लै ना मैल तुमर हरी-हरी कागज ठुकरे बेर आपूं आत्म सम्मान में तुमर खिलाफ वोट दी किलैकि तुम हरी-हरी कागज़ो भरी अटेची पहुँचाणक लिजी बहुत बेचैन छिया. तो दाज्यू कई राज जो राज छन म्यर मानो उनुकै खोलहैं मजबूर नी करो तो तुमर बुढापा क लीजी ठीक रौल यो म्यर सुझाव छूँ.
(Harish Rawat and Rekha Arya)
2- आपुल म्यर उत्तराखंडी परिधान म्यर पहचांण कार्यक्रम, वात्सल्य योजना कार्यक्रम क तारीफ करी यक लिजी भोत-2 धन्यवाद.
3- दाज्यू आपूंल लिखी रौ कि टेक होम राशन वालक टेंडर करबेर महापाप हेगो, तो दाज्यू आपू निश्चिंत रहो यौ टेंडर डेनिस वाल नीछ जो एक व्यक्ति विशेषक मोनोपोली चलेली, इमै हम स्थानीय उत्पाद समेत स्वयं सहायता समूहों कै और अधिक मात्रा में जोड़ूल तथा केंद्र सरकार बटि जो निर्देश मिली री उनर लै पालन करुल.
4- दाज्यू आपूल लिखौ कि वीर और पराक्रम क धरती म्यर सोमेश्वर छू बिल्कुल सत्य बात दाज्यू इमै मकैं भौत गर्व हौय लेकिन बिन सिर पैर वाली बात किलै कंछा आज बुढ़ापा मैं लै आपूं कै शराब किलै यतु दिखाई दिंछ. दाज्यू तुम साबित कर दियो कि मैल सोमेश्वर में शराब पहुँचा है छ तो तुम जो कला मानी जूल वरना यौ झूठ आपूं कैं भौत महंग पडौल किलैकि बेवजह आरोप लागला तो यौ देवताओं में गवेल्ज्यू धरती लै छौ और ऊँ न्याय करनी.
5- दाज्यू यौ महावीर पराक्रमी धरती छी तो तुमुल नैनीसार में जमीन कसी क माफियाओं कैं दी और बाद में वा कै मातृशक्ति और हमर जानी मानी पत्रकार ठुल दाज्यू श्री P.C.तिवारी जी आदि लोगो पै लट्ठ बरसाई और जेल डाली दी तो दाज्यू आपूं कैं वो दिन किलै ध्यान नी आय हनौल कि यौ धरती पराक्रमी और वीरों क छूँ कबे.
6- दाज्यू आज आपूं कछाँ कि म्यर आंग देवता आल,बिल्कुल दाज्यू जब तुमर आंग असली देवता आल न कि छल और नोटंकी वाल हरदा तब मैं जरूर धुप्पण लिबै ऊँ देवता कैं धूप दयूल लेकिन दाज्यू बुर झन मानिया जब बुढ़ापा आ जाँछौ तो देवता लै आपूंण घोड़ा बदल दिनी एक उम्र बाद आंग में देवता नी आंन.
(Harish Rawat and Rekha Arya)
अब दाज्यू आंपू दूसर पोस्ट
1- आपने लिखा है कि मारखुली बल्द अपना नुकसान करता है मगर उज्याड़ू बल्द और बकरियां समाज का नुकसान करती हैं एक तो आपको बधाई कि आज आप ने स्वीकार किया कि मारखुली और मूनठेपी हो, साथ ही वहीं दाज्यू आपने ठीक उल्टा लिख दिया कि मारखुली बल्द अपना ही नुकसान करता है,नहीं वह अपने साथ साथ गरीब और निर्धन को तो सताता ही है साथ ही जो उसके बराबर आने की कोशिश करता है उसे तो वह जान से भी मार देने की कोशिश करता है, इसलिए महिलाओं के हक का उज्याड़ हम नहीं मारखुली बल्द खा गया.
यह मारखुली/ मूनठेपी बल्द अपनी आदत से इस कदर मजबूर होता है कि बुढ़ापे में दवा पानी देने को भी अपने आसपास फटकने नहीं देता वह हमेशा ऐसी शक में रहता है कि शायद मेरे हिस्से का गास किसी ने मार दिया बाकी दाज्यू आप आराम करो मैं आपकी कुशल क्षेम लेती रहूंगी क्योंकि बुढ़ापा होता बहुत खराब है यह सुना तो था लेकिन आपको देखकर तो प्रत्यक्ष भी हो रहा है.
(Harish Rawat and Rekha Arya)
2- दूसरा दाज्यू आपने लिखा कि मेरे परिवार द्वारा भीमताल से लेकर किच्छा तक लोगों की जमीन उलट-पुलट की है तो शायद आप फिर बुढ़ापे की वजह से भूल गए जब मैंने आपके खिलाफ वोट दिया तो आपने राजनीतिक बदले के लिए इस बहन के परिवार को जेल डालने की योजना बनाई और यही झूठा आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज कराया जिसमें आपको माननीय न्यायालय से मुंह की खानी पड़ी थी और उसी दिन साफ हो गया था कि आपने झूठा आरोप लगाया है. क्योंकि माननीय न्यायालय ने मेरे पतिदेव को दोषमुक्त कर दिया था. दाज्यू आपने समाचार पत्र में छपी खबर की बात कही है तो एक खबर मैं भी आपको याद दिला देती हूं जिसमें आपके बारे में छपा था कि आपने गाजियाबाद में जमीन पर गैरकानूनी तरीके से फ्लैट बना दिए जिस पर आप को नोटिस भी जारी हुआ था मुझे उम्मीद है कि आप अगली पोस्ट में इन फ्लैटों की जानकारी जरूर देंगे . साथ ही दाज्यू मातृशक्ति की चिंता बतौर मुख्यमंत्री आपके कार्यकाल में नारी निकेतन में मूक बघिर बहनों के साथ क्या – क्या देवभूमि में हुआ और आपने जांच करने में भी कितनी लापरवाही की वो भी प्रदेश की जनता अभी भूली नहीं है .
बाकी दाज्यू पुनः आपके बुढ़ापे और आपके स्वास्थ्य की चिंता करती हूँ तथा परमेश्वर गिरधर गोपाल जी आपको स्वस्थ रखे और बुढ़ापे में अपने पापों का पश्चाताप करते हुए माताओं बहनों को अनर्गल शब्दावली का प्रयोग न करने की सद्बुद्धि दे.
दाज्यू वेसिक तो मैं तुमर बहुत सम्मान करनूँ और तुम सम्मान क हकदार लै हया किलैकि राजनीति जीवन में तुमल बहुत ठुल-ठुल पदों कैं सुशोभित जो करी हय, दाज्यू यौ जवाब दिंण लै मैल आपूं है बटी सीखौ.
(Harish Rawat and Rekha Arya)
पुरानी बहस यहां पढ़ें: कुमाऊनी भाषा के विकास में ऐतिहासिक हो सकती है हरीश रावत और रेखा आर्य की बहस
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…
उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…
पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…
आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…
“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…
View Comments
Interesting भौते भल लागा हमेरी बोली मे वार्तालाप।