गंगा की दुर्दशा से आहत विख्यात नदी वैज्ञानिक प्रो जी.डी. अग्रवाल उर्फ स्वामी सानंद ने गंगा रक्षा के लिए अपनी तरफ से तैयार ड्राफ्ट के आधार पर एक्ट बनाने के लिए केंद्र सरकार को नौ अक्तूबर तक का समय दिया है. मांग पूरी न होने पर वह दस अक्तूबर से जल भी त्यागने का एलान किया है. विगत दिनों स्वास्थ्य में गिरावट के कारण प्रशासन ने एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया था. स्वास्थ्य परीक्षण करने पहुंची टीम ने उन्हें एम्स में भर्ती होने की सलाह दी थी, जिस पर सानंद ने सहमति जता दी थी.
गौरतलब है कि स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद गंगा की रक्षा के लिए एक्ट बनाने की मांग को लेकर 80 दिनों से मातृसदन में अनशनरत हैं. स्वामी सानंद ने 13 जून को प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था, लेकिन पत्र का कोई जवाब न आने पर वह 22 जून को अनशन पर बैठ गए थे. कुछ दिनों बाद प्रशासन ने उन्हें जबरन उठाकर एम्स में भर्ती कराया. केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने अनशन समाप्त करने की अपील की लेकिन उन्होंने अपना अनशन नहीं तोड़ा.
पत्र में स्वामी सानंद ने पीएम मोदी को लिखा , ‘2014 के लोकसभा चुनाव तक तो तुम भी स्वयं मां गंगाजी के समझदार,लाडले और मां के प्रति समर्पित बेटा होने की बात करते थे लेकिन यह चुनाव मां के आर्शीवाद और प्रभु राम की कृपा से जीतकर अब तो तुम मां के कुछ लालची, विलासिता-प्रिय बेटे-बेटियों के समूह में फंस गए हो। उन नालायकों की विलासिता के साधन (जैसे अधिक बिजली) जुटाने के लिए, जिसे तुम लोग विकास कहते हो, कभी जलमार्ग के नाम से बूढ़ी मां को बोझा ढोने वाला खच्चर बना डालना चाहते हो’.
उन्होंने कहा कि वह 80 दिनों से नींबू पानी ही पी रहे हैं. यदि सरकार ने नौ अक्तूबर तक मांग नहीं मानती है तो दस अक्तूबर से वे जल भी त्याग देंगे. एवं विष्णुगढ़ पिपलकोटी, सिंगोली भवरी और फाटा बयोंग हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजन बंद करना ही होगा. सेवानिवृत जस्टिस गिरधर मालवीय के नेतृत्ववाली समिति की ओर से तैयार गंगा संरक्षण अधिनियम को संसद से पारित किया जाए. गंगा के बारे में किसी भी निर्णय से पहले अनुमति के लिए राष्ट्रीय गंगा अनुयायी समिति का गठन हो.
गंगा की रक्षा के लिए अपना जीवन न्योछावर करने वाले पर्यावरण वैज्ञानिक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के पर्यावरण विज्ञान के पूर्व प्रोफेसर 86 साल के प्रोफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद ने गंगा नदी पर बांधों के निर्माण के खिलाफ हरिद्वार में लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं. उन्हें अपार समर्थन मिल रहा है. देश भर के आईटियंस ने उन्हें अपना समर्थन देने की घोषणा कर दी है.वह अलग-अलग तरीके से केंद्र सरकार को पत्र भी भेज रहे हैं.
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