Featured

जी रया जागि रया यो दिन यो मास भेटने रया

लाग हरैला, लाग बग्वाली
जी रया, जागि रया
अगास बराबर उच्च, धरती बराबर चौड है जया
स्यावक जैसी बुद्धि, स्योंक जस प्राण है जो
हिमाल म ह्युं छन तक, गंगज्यू म पाणि छन तक
यो दिन, यो मास भेटने रया

(Harela Traditional Festival Uttarakhand)

आज के दिन पहाड़ियों के घरों में बड़े प्रेम से यह आशीष दिया जा रहा होगा. परिवार की बुजुर्ग महिलाएं अन्य सदस्यों को हरेला का शुभाशीष दे रही होंगी. देश और दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाले पहाड़ी आज का दिन पर्व के रूप में मनाते हैं. अपनी जड़ों से जुड़े पहाड़ियों के घर आज पारम्परिक पकवानों की सुगंध से सरोबार होंगे.

देश-परदेश में रहने वाले पहाड़ियों की रसोई में आज बनेगी खीर और उसके साथ बनेंगे पारम्परिक पकवान. आजीविका की मजबूरी के चलते अपने गांव-घरों से दूर रहने वाले पहाड़ी अपने भीतर संभाले रहते हैं एक पहाड़. जब मौका लगता है भीतर बसे पहाड़ की सुगंध बिखेरता है ऐसे  मौके अक्सर लोकपर्वों पर खूब बनते हैं.
(Harela Traditional Festival Uttarakhand)

हरेला सावन महीने की पहली तारीख से 11, 10 या 9 दिन पहले बोया जाता है. पहले जंगल से लाई चौड़ी पत्तियों के ऊपर साफ़ मिट्टी बिछाई जाती है. अब सात या पांच अनाज को बोया जाता है यहां यह ध्यान देने वाली बात यह है कि बोये गये अनाज में काला अनाज नहीं बोया जाता है. सावन महीने की पहली तारीख के दिन हरेला काटा जाता है.

पहाड़ों में तो आज के दिन पौं फटने के साथ ही चहल-पहल रहती है. घर के बड़े अपने से छोटों को पाँव से सिर की तरफ हरेला लगाते आशीर्वचन देते हैं और उनके जीवन में हमेशा हरियाली की कामना करते हुये कहते हैं.
(Harela Traditional Festival Uttarakhand)

काफल ट्री फाउंडेशन

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

View Comments

  • इन सभी वीर. जवानों की अमर सहादत. को मेरा सलाम 😂😂

Recent Posts

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

5 days ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

6 days ago

इस बार दो दिन मनाएं दीपावली

शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को…

7 days ago

गुम : रजनीश की कविता

तकलीफ़ तो बहुत हुए थी... तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,…

1 week ago

मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा

चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार…

2 weeks ago

विसर्जन : रजनीश की कविता

देह तोड़ी है एक रिश्ते ने…   आख़िरी बूँद पानी का भी न दे पाया. आख़िरी…

2 weeks ago