परम्परा

सावन की शुरुआत में हरेले का गीत

पिछले कुछ सालों से उत्तराखण्ड के युवाओं द्वारा लोक संगीत को नए कलेवर में पेश करने का चलन देखने में आया है. इन कोशिशों में गाने को भौंडा बनाने के बजाय उनकी पहाड़ी आत्मा को बचाये-बनाये रखने के जतन भी किये जा रहे हैं. कुमाऊनी लोकसंगीत को रिक्रिएट करने में करन जोशी और उनका यू ट्यूब चैनल केदारनाद सबसे ज्यादा चर्चित है. (Harela Song by Kedarnaad)

करन जोशी गायक हैं, साजिंदे और संगीतकार भी. करन का नया गीत हरेले के मौके पर आया है. रिलीज होते ही यह गीत तेजी से लोकप्रिय भी होता जा रहा है. इस गीत को मामूली संसाधनों के साथ घर पर ही रिकॉर्ड किया गया है. आप भी इस गीत को सुनें और शेयर करें.

हरेला लोक का त्यौहार है और लोक सबको साथ लेकर चलता है. हरेला सावन महीने के 11, 10 या 9 दिन पहले बोया जाता है. जंगल से लाई चौड़ी पत्तियों के ऊपर साफ़ मिट्टी में सात या पांच अनाज को बोया जाता है. जहां पत्तियों की संख्या अपने इष्टदेव और परिवार के सदस्यों की संख्या पर निर्भर करती है वहीं बोये गये अनाज में काला अनाज नहीं बोया जाता है.

अगले दस दिन तक इसमें हर रोज पानी डाला जाता है और इसकी नियमित गुड़ाई की जाती है. गुड़ाई के लिये इस्तेमाल यंत्र को स्थानीय भाषा में ताऊ कहा जाता है. सावन महीने की पहली तारीख के दिन हरेला काटा जाता है.

हिमालय में बर्फ होने तक, गंगा का पानी होने तक हरेला भेटने की कामना की जाती है. साल के इस पहले त्यौहार पर घर के बुजुर्ग कहते हैं –

लाग हरैला, लाग बग्वाली 
जी रया, जागि रया
अगास बराबर उच्च, धरती बराबर चौड है जया 
स्यावक जैसी बुद्धि, स्योंक जस प्राण है जो
हिमाल म ह्युं छन तक, गंगज्यू म पाणि छन तक 
यो दिन, यो मास भेटने रया

पहले घर जो सदस्य हरेला के समय घर पर न होता उसके नाम का हरेला या तो रख लिया जाता या फिर किसी न किसी तरह उस तक हरेला पहुँचाने की जद्दोजहद जारी रहती. अब तो सब सांकेतिक हो गया है.

‘केदारनाद’ की कुमाऊनी होली बसंती नारंगी

नये अंदाज में कुमाऊनी होली शिव के मन मा ही बसे काशी

गिर्दा का केदारनाद

भानुराम सुकोटी का एक कवर गीत

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

Recent Posts

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

2 days ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

1 week ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

1 week ago

इस बार दो दिन मनाएं दीपावली

शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को…

1 week ago

गुम : रजनीश की कविता

तकलीफ़ तो बहुत हुए थी... तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,…

2 weeks ago

मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा

चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार…

2 weeks ago