उत्तराखंड के पहाड़ों में रहने में रहने वाली महिलाओं का जीवन हमेशा संघर्षों से भरा हुआ रहा है. उनके जीवन का संघर्ष और उनके व्यक्तित्व की सरलता उनके खान-पान तक में देखी जा सकती है. पहाड़ियों के व्यक्तित्व की सरलता का ही एक उदाहरण है हरा नमक.
सुनने में सामान्य और देखने में उससे भी सामान्य हरे धनिया का नमक स्वाद में अद्भुत होता है. पहाड़ में रहने वालों की याद में हमेशा रहता है सिलपट्टे में पीसा धनिया के हरे पत्तों का हरिया नूण.
पहाड़ की महिलाओं का जीवन हमेशा व्यस्त रहा है. सूरज उगने से लेकर सूरज डूबने तक हमेशा काम में लगी पहाड़ की महिलाओं के भोजन का एक अभिन्न हिस्सा रहा है धनिया के हरे पत्तों का पीसा हुआ नमक .
घर की बहुएं सुबह ही अपने घर का काम निपटा कर जंगलों की ओर निकल लेती थी. जंगल में खाने के लिए जब पिछली रात की रोटियां बांधती तो उसके साथ धनिया का हरा नमक जरुर रखती. केले के पत्तों में रोटियां साथ में हरा नमक यही पहाड़ की महिलाओं का जंगल में खाना हुआ करता था.
धनिया का हरा नमक लम्बे समय तक रहता था और जंगल जाते हुए इसे रखने के लिये किसी बर्तन आदि की जरुरत नहीं थी. फिर बर्तन जंगल में भूलने का झंजाल भी न हुआ न उसे साथ में अलग से ढोने का.
एक समय कच्चा प्याज, रोटी और हरा नमक पहाड़ की बहुओं द्वारा जंगल में किया जाने वाला एक दैनिक भोजन हुआ करता था.
घरों में हरे धनिया का नमक छांछ में किया जाता था. यह छांछ का स्वाद बदल देता है. इसका प्रयोग ककड़ी के साथ किया जाने लगा. धीरे-धीरे माल्टे, अमरूद के साथ भी हरा धनिया प्रयोग में लाया जाने लगा. इसके अलावा घी लगी मडुवे की रोटी और हरे नमक का स्वाद शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है.
शुरुआत में जब पहाड़ों में खाने के साथ सलाद का प्रयोग किया जाने लगा तो मूली के साथ हरा नमक मिलाया जाता था. मूली में मिलाये जाने वाले हरे नमक में लहसून डला हुआ हरा नमक नहीं डालते हैं.
धनिया का नमक सिलपट्टे में हरे धनिया के पत्ते, लहसून, हरी मिर्च, नमक पीसकर बनाया गया यह नमक वर्तमान में भुट्टे में लगाकर भाभर में बेचा जाता है. पिछले कुछ वर्षों में हरा नमक लगा भुट्टा नैनीताल और रामनगर आने वाले पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय हुआ है.
घरेलू सामग्री से तैयार किया जाने वाला हरा नमक सफ़ेद और काले नमक की अपेक्षा अधिक लाभकारी है.
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– काफल ट्री डेस्क
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अभावग्रस्तता को सरलता नाम देकर आप अपनी सरलता का परिचय दे रहे हैं। बहुत अच्छा लेख ।