आकाश के रंगमंच पर आज 21 दिसंबर 2020 को सूर्यास्त के बाद सौरमंडल के विशालतम ग्रह बृहस्पति और शनि ग्रह का महामिलन हो रहा है जिसे वैज्ञानिक महायुति कहते हैं. अंग्रेजी में इसे ‘ग्रेट कंजंक्शन’ कहा जाता है. इस महामिलन के अवसर पर आज वर्ष का सबसे छोटा दिन भी रहेगा और इस अद्भुत खगोलीय घटना का आग़ाज भी वर्ष की सबसे लंबी रात के साथ होगा. इसे देखिएगा ज़रूर क्योंकि इन दोनों ग्रहों का ऐसा अनोखा मिलन आज 794 वर्ष बाद हो रहा है. पिछली बार बृहस्पति और शनि ग्रह का ठीक ऐसा ही महामिलन 5 मार्च 1226 की शाम को हुआ था जब इसे दुनिया भर में करोड़ों लोगों ने देखा होगा.
(Great Conjunction 2020 in Hindi)
यह उन दिनों की बात है जब मंगोल आक्रमणकारी चंगेज खां की सेनाएं सिंधु नदी को पार करके आगे बढ़ रही थीं. और, कुतुबुद्दीन ऐबक ने जिस मीनार का निर्माण शुरू किया था, उस कुतुबमीनार की तीन मंजिलें दिल्ली सल्तनत का बादशाह इल्तुतमिश बनवा चुका था.
यों, बृहस्पति और शनि ग्रह का महामिलन हर बीस वर्ष बाद होता रहता है, फिर इस बार का यह मिलन विशेष महामिलन क्यों? ऐसा ही महामिलन तो 397 वर्ष पूर्व 16 जुलाई 1623 को भी हुआ था जिसे महाखगोल वैज्ञानिक गैलीलियो ने अपनी दूरबीन से देखा होगा. लेकिन, तब ये दोनों विशाल ग्रह अपने परिक्रमा पथ पर सूर्य के बहुत करीब थे इसलिए पृथ्वी से बहुत कम लोग वह महायुति देख पाए होंगे. हो सकता है भूमध्य रेखा के आसपास के क्षेत्रों के कुछ लोगों ने इसे देखा हो. जहां तक 20 वर्षों बाद मिलन की बात है, तो वह होता तो है लेकिन तब ये दोनों ग्रह पृथ्वी से इतना पास नहीं दिखाई देते.
बीस वर्ष बाद आखिर ये दोनों ग्रह पास-पास आते क्यों हैं? इसका एक सीधा हिसाब है. बृहस्पति ग्रह सूर्य की परिक्रमा लगभग 12 वर्षों में और शनि ग्रह करीब 30 वर्षों में पूरी करता है. शनि ग्रह हर साल करीब 12 डिग्री और बृहस्पति 30 डिग्री परिक्रमा पूरी करता है. इसलिए हर साल बृहस्पति शनि ग्रह के 18 डिग्री करीब आ जाता है. यानी, 20 वर्षों में बृहस्पति शनि ग्रह के 360 डिग्री (18 ग् 20) सीध में आ जाता है. तब पृथ्वी से देखने पर हमें वे दोनों एकदम पास दिखाई देते हैं. इन दोनों ग्रहों का ऐसा ही महामिलन अगली बार 15 मार्च 2080 को होगा. हालांकि 31 अक्टूबर 2040, 7 अप्रैल 2060 और 18 सितंबर 2100 को भी इनका मिलन होगा.
(Great Conjunction 2020 in Hindi)
बृहस्पति और शनि हमारे सौरमंडल में गैसों के विशाल गोले हैं और ये दोनों एक-दूसरे से लगभग 73 करोड़ किलोमीटर दूर हैं. सूर्य के चारों ओर ये दोनों ही ग्रह ठीक उसी तरह चक्कर लगा रहे हैं जैसे किसी गोल स्टेडियम के ट्रैक पर मानों दो धावक दौड़ रहे हों. उन दोनों की दौड़ने की गति में फर्क है. इसलिए दौड़ते-दौड़ते कभी ऐसा समय आता है जब वे दोनों एक-दूसरे के पास यानी एक सीध में आ जाते हैं. समझ लीजिए ऐसा ही बृहस्पति और शनि के साथ भी होता है. वे 20 वर्ष बाद एक-दूसरे की सीध में आते हैं.
यह भी एक अनोखा संयोग ही है कि आज महायुति के साथ ही वर्ष के सबसे छोटे दिन और सबसे लंबी रात का संयोग बना है. 21 या 22 दिसंबर को हर वर्ष सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात होती ही है लेकिन इस बार महामिलन के कारण यह दिन विशेष हो गया है. लेकिन ऐसा होता क्यों है? यह हमारी बांकी धरती की डोलती अदा के कारण होता है. हमारी पृथ्वी अपनी धुरी पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है, इसीलिए इसमें बांकपन है. और, यह लट्टू की तरह डोलते हुए अपनी धुरी पर घूमती है. झुकी होने के कारण डोलते-डोलते इसके ध्रुव कभी सूर्य की सीध में आ जाते हैं और कभी उससे दूर हो जाते हैं.
(Great Conjunction 2020 in Hindi)
हम पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में रहते हैं. इसलिए जब उत्तरी ध्रुव सूर्य से दूर हो जाता है तो यहां सर्दी का मौसम आ जाता है. जबकि, दक्षिणी गोलार्ध में गर्मियों का मौसम शुरू हो जाता है. आज उत्तरी ध्रुव दक्षिण की ओर अधिकतम झुका है और इसके बाद यह सूर्य की ओर बढ़ने लगेगा. यानी, सूर्य उत्तरायण हो जाएगा. खगोल विज्ञान के हिसाब से आज दक्षिण अयनांत का दिन है जिसे शिशिर अयनांत भी कहते हैं. अंग्रेजी में अयनांत ‘सोलस्टिस’ कहलाता है. प्राचीनकाल में आज के ही दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता था. इसे मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता था. लेकिन, अब इस दिन सूर्य धनु राशि में पहुंच चुका होता है. मकर राशि में तो वह 15 जनवरी को पहुंचेगा और तब हम मकर संक्रांति मनाएंगे.
आज दिन जल्दी ढल जाएगा और रात वर्ष की सबसे लंबी रात होगी. सूर्यास्त के बाद बृहस्पति और शनि ग्रह का महामिलन देखिए और फिर लंबी तान कर सो जाइए. हमारी ओर से शब्बह-खैर!
(Great Conjunction 2020 in Hindi)
वरिष्ठ लेखक देवेन्द्र मेवाड़ी के संस्मरण और यात्रा वृत्तान्त आप काफल ट्री पर लगातार पढ़ते रहे हैं. पहाड़ पर बिताए अपने बचपन को उन्होंने अपनी चर्चित किताब ‘मेरी यादों का पहाड़’ में बेहतरीन शैली में पिरोया है. ‘मेरी यादों का पहाड़’ से आगे की कथा उन्होंने विशेष रूप से काफल ट्री के पाठकों के लिए लिखना शुरू किया है.
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