अल्मोड़ा की धौलादेवी तहसील में एक सरकारी स्कूल है, राजकीय विद्यालय बजेला. पिछले कुछ महिनों से यह स्कूल अपनी रचनात्मकता के लिये खासा चर्चा में रहा है.
पहाड़ों में मौजूद सरकारी स्कूल अक्सर खबरों में नकारात्मक कारणों से ही आते हैं. राजकीय विद्यालय बजेला विद्यालय लगातार सकरात्मक कारणों से ख़बरों में बना रहता है.
आज स्कूल में शनिवार गतिविधियों का आयोजन किया गया. आयोजन में बच्चों ने सभी गतिविधियों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और अपनी विशिष्ट प्रतिभाओं का प्रस्तुतीकरण विभिन्न माध्यमों द्वारा किया.
बाल रचनात्मकता बढ़ाने और उन्हें अजैविक कूड़े निस्तारण की तौर तरीके सिखाने के उद्देश्य से कोल्ड ड्रिंक की बोतलों, प्लास्टिक के डब्बों से और पुराने कपड़ो की मदद से सुंदर फूलदान बनाने का प्रशिक्षण दिया बच्चों ने गतिविधि को बहुत आनंदमयी तरीके से सीखा.
स्कूल के अध्यापक भास्कर जोशी ने बताया कि मैं और मेरे छात्र पर्यावरण संरक्षण हेतु भी प्रतिबद्ध हैं, इस हेतु बच्चों को कूड़ा निस्तारण की विभिन्न गतिविधियों का प्रशिक्षण विद्यालय में दिया जाता है और वे 5-R के सिद्धांत (Reducing, Reuse, Recycle, Recovery and Refuse) को अपने जीवन मे प्रयोग करने को अग्रसर रहते है. इसी क्रम में उन्हें आज यह रचनात्मक सामग्री का निर्माण करना सिखाया एवं कूड़ा निस्तारण हेतु प्रशिक्षण दिया गया.
इस प्रशिक्षण के बाद बच्चों ने अपनी-अपनी अधिगम से संबंधित समस्याओं को खेल-खेल में बेहतर तरीके से सीखने का प्रयास किया. कार्यक्रम में बच्चों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बाल जीवन पर कहानी सुनी और उस कहानी से प्रेरणा लेते हुए जीवन मे सदा सत्य बोलने का प्रण लिया. बच्चों ने उपरोक्त कहानी के अंग्रेजी स्किट का मंचन भी किया गया. स्कूल के युवा अध्यापक भास्कर जोशी और उनके नन्हें छात्र के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं. स्कूल में आज के कार्यक्रम की तस्वीरें देखिये :
काफल ट्री को सभी तस्वीरें राजकीय विद्यालय बजेला में सहायक अध्यापक भास्कर जोशी ने भेजी हैं.
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बेहद सराहनीय कार्य । बच्चों को रचनात्मक शिक्षा देना बहुत आवश्यक है, हमारे समय में (१९७०) पुस्तक कला, काष्ठ कला व संगीत कला ६ से ८ तक ऐच्छिक विषय में शामिल हुआ करते थे । ज़रूरत है इन्हें कक्षा १ से शुरू किया जाए ।
भास्कर जोशी जी ने गाँव, विद्यालय और शिक्षा के प्रति गाँव के लोगों की सोच को सकारात्मक रूप से बदल दिया। हमारे देश को विशेष रूप से उत्तराखंड को भास्कर जोशी समान अध्यापकों की अतिशय आवश्यकता है। kafal tree के सभी photo मैं देखती हूँ और गर्व होता है।
भास्कर जोशी जी को शत शत नमन ऐवं शुभकामनाएं।