सीधी खड़ी चढ़ाई पर खच्चर आदमी ढो रहे हैं. सामान और आदमी से लदे इन खच्चरों के ऊपर लदा आदमी असल खच्चर नज़र आ रहा है. हजारों लोग इन खच्चरों की लीद पर अपने कदम रखने के लिये जगह ढूंढ रहे हैं.
मन में भोले का नाम लिये कुछ भोले के भक्त एक भोले पहाड़ी की पीठ पर लद कर जा रहा हैं. भोले का भक्त भोले पहाड़ी का कई गुना है वजन और पैसों दोनों में.
अचानक खच्चर की लीद और मानव मूत्र के ग़जब के कॉम्बीनेशन वाली महक से आपका ध्यान हटता है और आकाश में आपको धर-धर-धर्र करता एक हैलीकाप्टर उड़ता नज़र आता है. लगभग हर पैंतालीस मिनट के बाद हैलीकाप्टर की धर-धर-धर्र की आवाज आपका ध्यान अपनी ओर खींचती हैं. हैलीकाप्टर में बैठे लोगों को पर्यवारण को नुकसान पहुंचाने के नाम पर आप जी भरके कोसते हैं. उतना कोसते हैं जितना आपका शरीर और दिमाग थक चुका होता है.
छः से सात घंटे में जब केदारनाथ पहुंचने वाले होते हैं आप खच्चरों की तरह खच्चर, खच्चर के मालिक और आपसे गरीब जो दिखे सबको मन ही मन गाली देते हैं और तब सामने केदारनाथ की ध्वजा देखकर आप सबको अपने मन में ही माफ़ भी कर देते हैं.
यहां पहुंचकर आपको पता चलता है कि ज़माना ऑनलाइन का है रहने का इन्तजाम घर से निकलने से पहले किया जाना चाहिये था क्योंकि आप शिव के दरबार में हैं और शिव तो भूत पिशाच सबको साथ लेकर चलते हैं फिर चोर-लुचक्के कैसे उसके दरबार से दूर रह सकते हैं.
सिनेमा हाल के बाहर ब्लैक टिकट बेचने वाले लौंडे की उमर का एक दोस्त आपको टिकट बेचने वाले अंदाज में ही कमरा दिलाने की बात करता है. मज़बूरी में उसका बोला दाम और ब्रह्मा के शब्द एक लगते हैं. इस मामले में लोग ईमानदार हैं, आपके कपड़े, व्यवहार आदि देखकर ही रेट बोलते हैं.
जैसे तैसे रुकने का जुगाड़ हो तो असल परेशानी दर्शन की है. आपकी जेब गर्म है तो मंदिर कमेटी वालों ने ठंडी करने का बढ़िया इंतजाम किया है. लम्बी लाइन में खड़े होने की बजाय दीजिये 6000 रूपये और जादुई दरवाजे से करिये बाबा के दर्शन. बाकी पंक्ति में लगने के बाद आपको ख़ुद ही एहसास न होगा कब आप बाबा के सामने हैं और कब पंडित ने आपको दर्शन कर आपका मामला रफा-दफा कर दिया है.
यह है इंतजाम केदारनाथ यात्रा का जहां हर दिन बीस हजार से ज्यादा लोग आ रहे हैं. सरकार को फर्क नहीं पड़ता कैसे आ रहे हैं कैसे जा रहे हैं. अब अगर आप सरकार पर ऊँगली खड़ी कर दो तो वह कहेगी कुछ लोग राज्य का नाम बदनाम कर रहे हैं.
– गिरीश लोहनी
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