बरेली के मिशनरी प्रचारक विलियम बटलर ने पहाड़ में मिशनरी का खूब प्रचार किया था. फतेहपुर के पास ईसाई नगर में पुराने चर्च में विलियम बटलर का नाम आज भी अंकित है ईसाई नगर हेनरी रैमजे के समय में बसाया गया था. मिशनरी की काफी संपत्ति वर्तमान में कब्जेदारों ने घेर ली है. फतेहपुर के पास ईसाई नगर और चोरगलिया में भी मिशनरी की संपत्ति है और आज भी इसाई धर्म को मानने वाले यहां रहते हैं. बरेली का बटलर प्लाजा इन्हीं विलियम के नाम से है. Forgotten Pages from the History of Haldwani- 38
हल्द्वानी का वैलेजली लॉज अतिक्रमण का शिकार हो गया है. पूर्व में यहां जाड़ों में नैनीताल से कोर्ट आया करता था. वेलेजली लॉज से लगी भूमि पर 1978 में सेशन कोर्ट के भवन का निर्माण हो गया. किन्तु उत्तराखंड राज्य निर्माण तथा नैनीताल में हाई कोर्ट की स्थापना के बाद जाड़ों में नैनीताल से हल्द्वानी न्यायालय लाए जाने की परंपरा खत्म कर दी गई.
बमोरी क्षेत्र में जगदंबा नगर के निकट सेक्रेट हार्ट स्कूल के प्रबंधक दीपक पॉल बताते हैं कि रोडवेज बस स्टेशन चौराहे पर थाने के बगल में सबसे पहला चर्च क्षेत्र का था. जिसमें बाद में स्कूल बना दिया गया. शहर के तमाम आराधना स्थलों पर कब्जे से दुखी मिस्टर पॉल कहते हैं कि हमें इन पुरानी यादों को संवारना चाहिए था लेकिन बहुत कुछ घिर चुका है.
नैनीताल रोड स्थित मुख्य चर्च की 60-64 बीघा जमीन में से आधी बेच दी गयी है. शेष में से काफी घिर चुकी है. पॉल के दादा क्रिस्टोफर ने 1998 में 64 बीघा जमीन खरीदी जिसमें स्कूल चल रहा है. पहले यह इलाका पूरी तरह जंगल था और जंगली जानवर यहां घूमते थे. जगदंबा नगर में ईसाइयों के दो कब्रिस्तान हैं, काफी पहले एक पादरी यहां पर रहते थे बाद में उनका आवास खंडहर बन गया था जिसे तोड़ दिया गया. उनके पिता बैलगाड़ी में सिर्फ मंगलवार के दिन बाजार जाते थे और सप्ताह भर का सामान मंगल बाजार से लाया करते थे.
अंग्रेजों के जमाने के डिप्टी कलेक्टर बेंशन अब्राहम ने कालाढूंगी रोड में 1932 में कोठी बनवाई इनकी पत्नी डॉक्टर बेंशन नाम से मशहूर थी. बेंशन साहब मूल रूप से द्वाराहाट के कालीखोली ग्राम के रहने वाले थे. जमाना अंग्रेजों का था और इन्हें सरकारी सेवा में दूरस्थ क्षेत्र में रहना पड़ता था. लोहाघाट, चंपावत में भी वे रहे. नैनीताल में डिप्टी कलेक्टर रहे अब्राहम ने कालाढूंगी रोड में जब अपनी कोठी बनाई तब यह पूरा इलाका जंगल और खेतों से घिरा था. वे अपने समय के प्रसिद्ध शिकारी रहे. बेंशन अब्राहम ने मुखानी के पास ही शेर का शिकार किया था.
हल्द्वानी में सबसे पहला चर्च रोडवेज बस स्टेशन के पास था, जिसमें मिशन स्कूल है. इसी का विस्तार नैनीताल रोड में आगे कर दिया गया. शहर के इस मुख्य चर्च की नीँव डालने वाले पादरी जॉन्सन रैमजे थे. मुख्य रूप से शाहजहांपुर के रहने वाले जॉन्सन मिशन से जुड़े थे और तीन बार हल्द्वानी आये थे और अंत में यहीं के होका रह गए. सबसे पहले वह 1947 में यहाँ आये. रोडवेज के पास चर्च में डी.सी. हैरिस ने मिशन स्कूल की शुरुआत की और चर्च जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए स्थान काम पड़ गया. ऐसे में मिशन स्कूल से अनुमति लेकर पादरी रैमजे ने वर्तमान चर्च के आगे वाली भूमि सरदार हरबंश के परिवार को बेच दी और उए धनराशि से 23 सितम्बर 1966 को नए चर्च की नीव डाली. Forgotten Pages from the History of Haldwani- 38
(जारी)
पिछली कड़ी : एक समय था जब भाबर में बसने के लिए सरकारी सहयोग मिलता था
स्व. आनंद बल्लभ उप्रेती की पुस्तक हल्द्वानी- स्मृतियों के झरोखे से के आधार पर
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