धौन पानी क्षेत्र के एक गांव में तीन लोग रहते थे — सास, ससुर और बहू. सास और ससुर बहु के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया करते थे. इस गांव में पीने के पानी की बहुत किल्लत थी. इस वजह से पानी लाने के लिए सभी गांव वालों को चार किलोमीटर तक जाना-आना पड़ता था. पानी के जिस धारे से गांव वाले पानी भरने जाया करते थे उसके पास एक नाला भी था. इस नाले में एक भूत का बसेरा था. लम्बी-लम्बी जटाओं वाले इस भूत के नाखून भी बहुत लम्बे और तेज धार वाले थे. किसी शिकारी भेड़िये की तरह किस भूत के बहुत लम्बे और पैने दांत भी थे. (Folklore Ghost of Dhaunpani)
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धौन पानी इलाके की यह बहू भी रोज पानी भरने इस धारे पर आया करती थी. ज्यों ही वह धारे से पानी भरने लगती भूत अपनी लम्बी जटाओं को फैलाकर उस पर से जुएँ खोजने लगता. बहू डर जाती और भयभीत होकर भूत की फैली जटाओं से जुएँ बींनने में लग जाती. इस वजह से उसे रोज ही घर पहुँचने में देरी हो जाती. इस देरी की वजह से उसके सास-ससुर गुस्सा हो जाते और उसे ताने देते. भूत के भय और सास-ससुर के तानों की वजह से वह दिनों-दिन दुबली होती जा रही थी.
एक दिन उसके सास-ससुर को न जाने क्या बुद्धि आई. उन्होंने आपस में बात की — यह रोज खाना खाती है. कोई दुःख बीमारी भी इसे नहीं है. देखने में भी भली लगती है. लेकिन हर दिन और दुबली-पतली क्यों होती जा रही है. आखिर क्या है जो भीतर ही भीतर इसे खाए जा रहा है. अतः सास ने बहू से इस बारे में पूछा. बहू ने पहले तो टालने की कोशिश कि लेकिन सास के सख्ती से पूछने पर उसने असली बात बता ही दी.
अगले दिन अपनी बहू की बात की सच्चाई जानने के लिए सास खुद पानी सारने गयी. जैसे ही सास धारे पर पहुंची भूत ने रोज की तरह अपनी जटाएं फैला दीं. सास को भी अपनी बहू की तरह उसकी जटाओं से जुएँ बीननी पडीं. उसके बाद ही वह पानी का फौला भर पायी. घर आकर उसने अपने पति को बहू की बात सच होने के बारे में बताया.
अगले दिन ससुर ने खुद अपनी बहू के कपड़े पहने और बर्तन लेकर पानी भरने धारे पहुंच गया. भूत ने हर रोज की तरह इस सुबह भी अपने जटाएं फैला दीं. बूढ़े ससुर ने हौले-हौले भूत की जटाओं को अपने हाथों में लपेटना शुरू किया. जब जटाएं उसके हाथों में अच्छी तरह लिपट गयीं तो उसने जोर लगाकर उन्हें खींचना और झिंझोड़ना शुरू कर दिया. भूत आग-बबूला हो गया. उसने अपने दांत और नाखूनों से बूढ़े पर हमला करना चाहा. लेकिन जटाओं पर बूढ़े कि पकड़ होने की वजह से वह ऐसा करने में कामयाब नहीं हो पाया.
परेशान होकर भूत बूढ़े से गिड़गिड़ा कर माफ़ी मांगने लगा. वह बूढ़े से माफ़ी मांगकर छोड़ देने की विनती करने लगा. बूढ़े ने उससे कहा कि वह वचन दे कि आज के बाद किसी को परेशान नहीं करेगा. बूढ़े के चंगुल में फंसे भूत ने वचन दिया कि वह आज के बाद उसके परिवार के किसी सदस्य को परेशान नहीं करेगा. भूत ने यह भी कहा कि आज के बाद तुम्हें पानी भी तुम्हारे गांव में ही मिल जाया करेगा. बस मुझे छोड़ दो. उसने बूढ़े से कहा कि वह घर जाकर अपने आँगन में लगे पेड़ को उखाड़े तो उस जगह से पानी का सोता फूट पड़ेगा. बूढ़े ने भूत की जटाओं को मुक्त कर दिया.
घर पहुंचकर उसने भूत के कहे अनुसार जब अपने आँगन के पेड़ को उखाड़ा तो वहां से पानी की धारा फूट पड़ी. उस दिन के बाद उस गांव में पानी का संकट फिर कभी नहीं रहा. (Folklore Ghost of Dhaunpani)
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