हम कुछ ऐसी गलतफहमियों का शिकार हैं कि उनके चलते हर कदम पर गलतियां दोहराते जाते हैं और हैरान होते हैं कि इतनी मेहनत के बावजूद हमारा जीवन पटरी पर क्यों नहीं आ रहा. भारतीय जनता की सोच में आध्यात्मिक प्रभाव हमेशा से रहा है.
(First is Self Mind Fit)
इस आध्यात्मिकता में हम जीवन को पुण्य कमाने का जरिया ज्यादा समझते हैं और बहुत सारे व्यावहारिक पहलुओं को नजरअंदाज कर देते हैं. हम दूसरों के काम आना चाहते हैं और इसके लिए हमें कैसा भी त्याग, बलिदान मंजूर है. लेकिन सोचिए अगर कि आप जिस व्यक्ति के काम आना चाहते हैं, अगर बिना त्याग, बलिदान के उसके लिए ऐसा कर लें, तो इसमें क्या कोई बुरी बात है?
यह ऐसा ही है जैसे किसी व्यक्ति को हजार रुपये की मदद की जरूरत है, तो हम अगर खुद से ज्यादा पैसा कमाते होंगे, तो उसे हजार क्या दो हजार रुपये की भी मदद कर सकते पर अगर हम हजार ही रुपया कमाते हों, तो क्या खाक मदद कर पाएंगे उसकी. मदद करेंगे, तो खुद को, अपने परिवार को भूखा रखना होगा.
(First is Self Mind Fit)
इसलिए अगर कोई कहे कि दूसरों की मदद करने के लिए पहले अपनी मदद करना जरूरी है, दूसरों को ताकतवर बनाने के लिए पहले खुद को ताकतवर बनाना जरूरी है, दूसरों को बेहतर बनाने के लिए पहले खुद को बेहतर बनाना जरूरी है, तो उसे जरा गौर से सुनो. ब्रह्माकुमारी शिवानी अपने खूबसूरत अंदाज में यही बात बता रही हैं. यह एक आजमाया हुआ सत्य है.
जितना आप अपना खयाल रखते हैं, उतना ही आप दूसरों का खयाल रखने में समर्थ होते जाते हैं. इसलिए अगर अपना खयाल रखने को लेकर आपके मन में किसी भी तरह का कोई अपराध बोध है, तो उसे दिल से बाहर निकाल फेंके. अपने मन को शांत करने के लिए घ्यान का अभ्यास करने में, अपने शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए व्यायाम करने में, आपको खुद पर समय खर्च करना ही होगा. ऐसा करने से आप स्वार्थी या आत्मकेंद्रित नहीं बल्कि बुद्धिमान कहे जाएंगे.
(First is Self Mind Fit)
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कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.
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