नैनी सैनी विश्व का पहला ऐसा एयरपोर्ट है जिसपर दो से तीन दशकों तक बच्चों ने इस उम्मीद में साईकिल चलाना सीखा है कि कभी इस पट्टी में वो जहाज से उतरेंगे. अब जब से नैनी-सैनी में एयरपोर्ट के नाम पर बिल्डिंग बनी है तब से बच्चों का वहां की ओर जाना भी कम हो गया है ऐसे में नैनी-सैनी एयरपोर्ट को पिथौरागढ़ के लोग न केवल भूल ही चुके हैं बल्कि मान चुके हैं कि यह एयरपोर्ट कभी नहीं बनेगा. पर यह सरकार है कि मानती ही नहीं हर दूसरे महीने नैनी-सैनी का नाम जप देती है.
पौड़ी में हुई कैबिनेट मीटिंग में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एकबार फिर नैनी-सैनी का नाम जपते हुये कहा है कि
पिथौरागढ़ हवाई पट्टी का विस्तार करने का प्रयास किया जा रहा है
अब कहां विस्तार किया जा रहा है यह रावत साहब ही जानते होंगे या उनके मंत्री क्योंकि पिथौरागढ़ के लोग तो मान चुके हैं कि उनकी गाढ़ी कमाई के पैसों से सरकार ने कबूतरों और सिंटोलों के रहने के लिये नैनी-सैनी में एक बिल्डिंग बनाई है जिसे नैनी-सैनी एयरपोर्ट कहा जाता है.
शायद विस्तार से सरकार का मतलब हो कि इसमें अब नैनी-सैनी एयरपोर्ट की बिल्डिंग में गौशाला खोली जाये या आवारा कुत्तों के लिये आवास स्थान की व्यवस्था की जाये. विद्वान लोगों का मत है कि क्योंकि यह एक पर्यटन प्रिय सरकार है इसलिये एयरपोर्ट को चटकेश्वर गाड़ से जोड़ा जा सकता है. सरकार एयरपोर्ट को खंडहर बनाकर चटकेश्वर गाड़ में इकट्ठा होने वाले शराबी और भंगेड़ी लड़कों के लिए विशेष स्थान उपलब्ध करा सकती है. एयरपोर्ट में पहले से मौजूद टीवी स्क्रीन को बेचकर सरकार सटोरियों के लिये एक बड़े वाले टीवी का भी इंतजाम कर सकती है.
लेकिन अगर आप यथार्थवादी हैं तो विस्तार का एक अर्थ यह भी हो सकता है कि सरकार अब नैनी-सैनी से लोगों को हवाई जहाज की छत पर भी ले जाने की योजना बना रही हो इससे राज्य में साहसिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिल जायेगा.
-गिरीश लोहनी
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