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बुरांश, प्योंली और बिच्छू घास से बने रंगों संग अबके बरस की होली

हरेला सोसायटी नाम से काफल ट्री के पाठक परिचित हैं. पिछले पांच छः सालों में पिथौरागढ़ जिले को पर्यावरण के प्रति जागरुक करने वाली हरेला सोसायटी तीन-एक वर्षों से जिले में होली के दौरान  नेच्यूरल कलर भी बनाती है. (Fagun Organic Holi Colors)

हरेला द्वारा इन नेच्यूरल रंगों का निर्माण स्थानीय युवाओं के साथ मिलकर किया जाता है और अब तक इसे स्थानीय बाजार में ही उपलब्ध भी कराया जाता रहा था. फागुन नाम से पिथौरागढ़ बाजार में उपलब्ध इन रंगों को पिछले सालों में हाथों हाथ लिया है.

इन रंगों का निर्माण स्थानीय पहाड़ी फूलों और वनस्पति के द्वारा ही किया जाता है. इसके लिए हरेला सोसायटी की टीम आस-पास के जंगलों में जाती है और वहां से लाये गये फूलों द्वारा रंगों का उत्पादन स्थानीय स्तर पर किया जाता है.

पिछले वर्षों की तरह टीम हरेला इस वर्ष भी बुरांश, प्योंली, बिच्छू घास, पाल, हल्दी आदि से नेच्यूरल रंग बना रही है. हरेला के संयोजक मनु डफाली के अनुसार पिथौरागढ़ में नेच्यूरल कलर की मांग पिछले कुछ सालों में तो बड़ी है लेकिन साथ में हमें जिले के बाहर से भी लगातार रंगों के लिए आर्डर आ रहे थे. इस वर्ष हम पिथौरागढ़ जिले के बाहर भी रंगों को डिलीवर कर रहे हैं. (Fagun Organic Holi Colors )

फागुन नाम से बाजार में उपलब्ध इस उत्पाद के ऑनलाइन आर्डर भी लिये जाने लगे हैं. इस उत्पाद को हरेला सोसायटी के फेसबुक पेज पर मैसेज कर आर्डर किया जा सकता है. नीचे दिए लिंक से वाट्सएप्प द्वारा भी फागुन के रंग मंगाये जा सकते हैं :

फाल्गुन रंग ऑर्डर करने के लिये यहां मैसेज किया जा सकता है : फागुन

पिछले वर्षों की कुछ तस्वीरें :

बुरांश से बना रंग

-काफल ट्री डेस्क

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