Featured

ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाकर सरकार ने भगत सिंह की ‘काले अंग्रेजों के राज’ वाली बात पर मुहर लगा दी

उलान बतोर, अस्ताना, मोस्को, हेलसिंकी, रेक्जाविक, ओटावा विश्व की कुछ सबसे ठंडी जगहों के नाम हैं. इन सभी जगहों का औसतन वार्षिक तापमान साढ़े पांच डिग्री सेंटीग्रेट से कम रहता है. इन सभी शहरों में जो एक बात एक करती है कि ये सभी किसी न किसी देश की एकमात्र राजधानी हैं. उत्तराखंड में ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण शीतकालीन तापमान 15 डिग्री सेंटीग्रेट से 2 डिग्री सेंटीग्रेट के बीच रहता है. Summer Capital of Uttarakhand

भारत में इससे पहले जम्मू-कश्मीर राज्य में ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन राजधानी रही है. जब जम्मू कश्मीर में श्रीनगर से राजधानी स्थानांतरित होती थी तो इसे दरबारी स्थानांतरण कहा जाता था. इससे पहले अंग्रेजों के समय भी भारत में ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करती थी उस समय के अख़बारों में इसे अंग्रेजों का पिकनिक प्लेस लिखा जाता था.

विश्व में ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन राजधानी का कांसेप्ट अंग्रेजों ने प्रचलित किया. अंग्रेजों ने अपनी सुविधा के लिये ग्रीष्मकालीन राजधानी पहाड़ी स्थानों पर बनाई. अंग्रेज गर्मियों में यहां अपने परिवार के साथ मजा लूटने आते थे और ठंडियों में वापस मैदानी इलाकों में लौट जाते थे. भगत सिंह ने 1931 के आस-पास लिखे अपने लेख कहा था कि देश में केवल सत्ता परिवर्तन होगा, गोरे अंग्रेज चले जायेंगे और काले हृदय वाले काले अंग्रेजों का शासन होगा.

बीते दिन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बड़े भावुक होकर विधानसभा में कहा कि उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण घोषित की. शीतकालीन राजधानी कहाँ होगी इसकी घोषणा होना अभी बाकी है क्योंकि देहरादून राज्य की अस्थाई राजधानी है.

पिछले बीस सालों से उत्तराखंड अपनी राजधानी ख़ोज रहा है. उत्तराखंड में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में जब सवाल पूछा जाता है कि उत्तराखंड की राजधानी कहाँ है तो जवाब उपरोक्त विकल्पों में कोई नहीं होता है. एक आरटीआई के जवाब में भी सरकार कह चुकी है कि उत्तराखंड की कोई राजधानी नहीं है. Summer Capital of Uttarakhand

गैरसैंण को राजधानी बनाने की सबसे पहले बात वीर चन्द्रसिंह गढ़वाली ने की थी इसी वजह से उत्तराखंड क्रांति दल ने इसका नाम चंद्रनगर रखा था. मुलायम सिंह की सरकार ने जिस कौशिक आयोग का गठन किया था उसने भी इसे राजधानी बनाने का सुझाव दिया. उत्तराखंड बनने के बाद दीक्षित आयोग ने उत्तराखंड की राजधानी हेतु पांच नाम दिये जिसमें पांचवां नाम गैरसैंण था.

आज उत्तराखंड की आर्थिक हालत यह है कि सन 2000 से लेकर अब तक राजस्व घाटा, 1000 गुना बढ़ गया है. उत्तराखंड में वर्तमान में रिकार्ड शिक्षित बेरोजगार हैं. बिना उधार के उत्तराखंड का बजट नहीं बन सकता. बात आमदनी अठन्नी खर्चा रुप्पया की होती थी उत्तराखंड सरकार के पास तो आमदनी भी अठन्नी नहीं है.

पहाड़ की राजधानी पहाड़ में का नारा इसलिये दिया गया ताकि जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी पहाड़ की समस्या तभी समझ सकते हैं जब पहाड़ में जायें. उत्तराखंड विधानसभा के 70 सदस्यों में शायद ही कोई ऐसा विधायक बचा होगा जिसके पास मैदानी इलाकों में संपत्ति न हो ऐसे में जरुरी हो. Summer Capital of Uttarakhand

-गिरीश लोहनी

काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

View Comments

  • ये मांग राज्य बनने से भी पहले की है, कि उत्तराखण्ड की राजधानी गैरसैंण बने. देहरादून तो अस्थायी है. ग्रीष्म कालीन राजधानी बनने के बाद इसका धीरे धीरे विकास होना चाहिए और फिर इसे स्थायी राजधानी बना देना चाहिए.

Recent Posts

हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा

दिन गुजरा रातें बीतीं और दीर्घ समय अंतराल के बाद कागज काला कर मन को…

4 weeks ago

हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़

हरे-घने हिमालयी जंगलों में, कई लोगों की नजरों से दूर, एक छोटी लेकिन वृक्ष  की…

4 weeks ago

भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़

उत्तराखण्ड में जमीनों के अंधाधुंध खरीद फरोख्त पर लगाम लगाने और यहॉ के मूल निवासियों…

4 weeks ago

कलबिष्ट : खसिया कुलदेवता

किताब की पैकिंग खुली तो आकर्षक सा मुखपन्ना था, नीले से पहाड़ पर सफेदी के…

1 month ago

खाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वार

गढ़वाल का प्रवेश द्वार और वर्तमान कोटद्वार-भाबर क्षेत्र 1900 के आसपास खाम स्टेट में आता…

1 month ago

अनास्था : एक कहानी ऐसी भी

भावनाएं हैं पर सामर्थ्य नहीं. भादों का मौसम आसमान आधा बादलों से घिरा है बादलों…

1 month ago