उत्तराखण्ड की कुमाऊनी और गढ़वाली बोलियों में दो इलाकों के बीच की सामानांतर लेकिन उठे हुई भूमि को धार कहा जाता है. धार के दोनों तरफ ढलान होती है.
अनुमानतः कुमाऊं-गढ़वाल में सैकड़ों धार हैं जिनके अर्थ के अनुसार अनेक स्थानों का नाम रखा गया है.
इनमें से कुछ इस प्रकार हैं – सैमधार, जाखणीधार, घटधार, धारचूला, पीपलधार, बिमलधार, टेंडाधार, बरमधार, डांडाधार, ऊखलधार, देवलीधार, बानणीधार, चांचरीधार, पौंधार, टोपराधार, सिमतोलीधार, पीपलधार.
जौनसार भाबर में इनमें बुंगधार, कुंडधार, द्यूलीधार, सिंहधार, निराणीधार, तराजूधार, पाथरीधार, नियारधार, जागधार, पितृधार, नागधार, नकधार, कोलियाधार, जगधार, गोगिनधार, रणधार, पंडियालधार, बुंगीधार, मंडीधार, और रतनधार प्रमुख हैं.
इसके अलावा इसका प्रयोग कश्मीर से लेकर नेपाल तक में होता है. कश्मीर में थांगधार, गुगरालधार, गेनधार, देवीदीधार, कराईधार, कालीधार, डगनूधार, ठगानीधार, इत्यादि हैं. हिमांचल प्रदेश में डसीलाधार, डोगाधार, खंडाधार, घोघडाधार, , थाणेधार, धौलाधार, हाथीधार, चूडधार, खशधार, और मटेशधार जैसे स्थान पाए जाते हैं.
(प्रो. डी. डी. शर्मा की पुस्तक ‘उत्तराखण्ड ज्ञानकोष’ से)
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