श्रीनगर से लगभग 14 किमी दूर कलियासौड़ में सिद्धपीठ मां धारी देवी का मंदिर है. धारी देवी का मंदिर मां काली को समर्पित है. इस मंदिर की मुख्य विशेषता मां काली की शांत मुद्रा वाली मूर्ति है.
लोकमत है कि धारी गांव में स्थित इस मंदिर की मूर्ति कालीमठ से अलकनंदा में बहती हुई आई थी. गांव वालों से नदी के किनारे ही एक छोटे से मंदिर का निर्माण कराया. धारी देवी मंदिर में स्थित मां काली चारों धामों की रक्षा करती है.
ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर श्रीनगर से 14 किमी की दूरी पर कलियासौड़ के पास मां धारी देवी का मंदिर स्थित है. पुराना मंदिर अलकनंदा नदी पर बनी 330 मेगावाट श्रीनगर जल विद्युत परियोजना की झील से डूब क्षेत्र में आ गया था जिसके बाद श्रीनगर जलविद्युत परियोजना बनाने वाली कंपनी अलकनंदा हाइड्रो पावर कारपोरेशन लिमिटेड की ओर से लगभग छह करोड़ की लागत से इस नए मंदिर का निर्माण किया गया.
पुजारियों के अनुसार इस मंदिर में स्थित मूर्ति द्वापर युग में स्थापित की गयी है. इस मंदिर के विषय में स्थानीय लोगों की एक रोचक मान्यता है. स्थानीय लोगों का मानना है कि धारी देवी दिन के समय अपना रूप बदलती है कभी लड़की के रूप में, कभी औरत के रूप में फिर कभी बुढ़िया के रूप में. धारा देवी मंदिर में सर्वाधिक नवविवाहित जोड़े अपनी मनोकामना पूरी करने के लिये जाते हैं.
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मूलरूप से पिथौरागढ़ के रहने वाले नरेन्द्र सिंह परिहार वर्तमान में जी. बी. पन्त नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ हिमालयन एनवायरमेंट एंड सस्टेनबल डेवलपमेंट में रिसर्चर हैं.
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