किसी ने गलत नहीं कहा है जिंदगी जिंदादिली का नाम है, मुर्दादिल क्या खाक जिया करते हैं. यह बात आजकल कुमाऊं की सड़कों पर आवारागर्दी करते हुए डेनिस और उनकी पत्नी विवियन पर सटीक बैठती है.
ये दोनो आजकल अपनी जिंदगी जी रहें हैं बुलेट मोटरसाइकिल पर, उत्तराखंड की वादियों में अपने जिगरी दोस्त और प्रकृति प्रेमी बची बिष्ट और उनकी छोटी सी बच्ची चिड़िया के साथ. ये बात कुछ और है की डेनिस और विवियन की उम्र 73 वर्ष है और इस उम्र में अमूमन आप हमारे यहां के लोगों में ऐसा जोश और फिटनेस बहुत कम देख पातें हैं.
इस उम्र में ऐसे भी बहुत कम लोग होते हैं जो इस दुनिया के सुंदरतम द्वीपों में से एक आयरलैंड से हज़ारों मील दूर बसे उत्तराखंड तक अपने प्रकृति प्रेम के खातिर यहां तक पहुंच पाते हैं.
डेनिस और विवियन पहली बार उत्तराखंड 2001 में कालाढूंगी आए और यहां उनके दिल रामनगर के बची बिष्ट, जो कि बहुत अच्छे वाइल्डलाइफ और इको टूरिज्म एक्सपर्ट भी हैं, से मिल गए और ये दिल्लगी कुछ ऐसी लगी कि आज 2019 में भी जारी है. डेनिस से बात करने पर पता चला कि उनको जो चीज़ उत्तराखंड में आने के लिए एक चुम्बक की तरह खींचती है वो है यहां पर रहने वाले लोग. जी हां डेनिस पहाड़ के लोगों और उनके रहन सहन से बहुत ज्यादा प्रभावित दिखे. जो प्यार उन्हें यहां के लोगों द्वारा मिलता है वो उसके मुरीद हो गए हैं. प्रकृति तो यहां आने का दूसरा कारण है ही.
डेनिस और विवियन पहली बार 29 साल पहले मिले और तकरीबन 12 साल रिलेशन में रहने के बाद शादी की, डेनिस कहते हैं विवियन उनकी जिंदगी में पीस ऑफ माइंड लायी और विवियन कहती हैं डेनिस उनकी जिंदगी में एडवेंचर और उत्साह लाए. दोनों के कुल 6 बच्चे हैं और 10 पोते पोतियां हैं.
डेनिस मोटरसाइक्लिंग के शौक के साथ साथ कीबोर्ड, गिटार भी बजाते हैं और उनका अपने घर क्रमलीन, डबलिन, आयरलैंड में खुद का एक छोटा म्यूजिक स्टूडियो भी है. डेनिस और विवियन ने बची बिष्ट के साथ 2009 में पूरे कुमाऊं का मोटरसाइकिलिंग ट्रिप किया है और रामगंगा और कोसी नदियों पर फिशिंग की है.
हमारी दुआ है कि डेनिस और विवियन ऐसे ही बची बिष्ट के साथ आने वाले कई सालों तक हिमालय और हिमालयी लोगों से ऐसे ही मिलने और आवारगी करने आते रहें.
–फोटो और आलेख : जयमित्र सिंह बिष्ट
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