क्रिकेट का चौथा विश्वकप भारत और पाकिस्तान की संयुक्त मेजबानी में 1987 में खेला गया. रिलायंस कम्पनी द्वारा प्रायोजित होने के कारण इसे रिलायंस कप कहा गया. इस टूर्नामेंट में एक जादुई पारी देखने को मिली थी. (Dave Houghton Memorable Innings 1987)
10 अक्टूबर 1987 को हैदराबाद के लालबहादुर शास्त्री स्टेडियम में न्यूजीलैंड की टीम का मुकाबला ज़िम्बाब्वे से हो रहा था और परिणाम को लेकर किसी के मन कोई संशय नहीं था. मैच के तीन चौथाई हिस्से के ख़त्म हो जाने तक सारी चीजें स्क्रिप्ट के लिहाज से चलती दिख रही थीं.
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न्यूजीलैंड ने मार्टिन स्नेडन और महान मार्टिन क्रो के अर्धशतकों की बदौलत 242 का स्कोर खड़ा कर लिया था. जिम्बाब्वे की टीम के 40 वर्षीय कप्तान जॉन ट्राईकोस ने अपने 10 ओवर्स में फकत 28 रन दिए.
बदले में जब ज़िम्बाब्वे का स्कोर 104 पर 7 हो गया तो मैच की समाप्ति बस एक औपचारिकता लग रही थी. उसके बाद ज़िम्बाब्वे के विकेटकीपर-बल्लेबाज डेव हॉटन जैसे किसी स्वप्नलोक में चले गए. उनका साथ दे रहे इयान बुचार्ट ने इस बात को भांप लिया और सुनिश्चित किया कि कुछ भी हो जाय उन्हें आउट नहीं होना है.
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अचानक न्यूजीलैंड के गेंदबाजों द्वारा फेंकी गयी हर गेंद बाउंड्री के बाहर जाती दिखाई देने लगी. देखते देखते हॉटन ने सेंचुरी बना डाली. उसके बाद भी वे नहीं थमे और चौकों-छक्कों की बरसात होती रही. न्यूजीलैंड की टीम भीषण दबाव में आ गयी दिखने लगी. (Dave Houghton Memorable Innings 1987)
डेव हॉटन और इयान बुचार्ट ने 117 रनों की पार्टनरशिप कर ली थी और इक्वेशन यह आ गयी थी कि ज़िम्बाब्वे को ऐतिहासिक जीत के लिए 21 गेंदों में 22 रन बनाने थे. तकरीबन तीन घंटों से हैदराबाद की धूप में खड़े बल्लेबाजी करते हॉटन शायद थोड़ा थक गए थे जब उन्होंने देखा कि मिड-ऑन को सर्कल में बुला लिया गया है. उन्होंने गेंद को हवा में बहुत ऊंचा मारा और वह बाउंड्री की तरह जा रही थी जब पीछे की तरफ भागकर मार्टिन क्रो ने एक शानदार कैच लेकर एक शर्तिया बाउंड्री को विकेट में तब्दील कर दिया.
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हॉटन ने कुल 137 गेंद खेलकर 13 चौकों और 6 छक्कों समेत कुल 142 रनों की पारी खेली.
अंततः ज़िम्बाब्वे की टीम 3 रनों से हारी लेकिन डेव हॉटन की वह अविस्मरणीय पारी विश्वकप के इतिहास की सबसे शानदार पारियों में जगह पा चुकी थी.
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