प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के प्रांतीय कार्यालय देहरादून में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में अपनी मांगों के समर्थन में 10 सितंबर से कार्य बहिष्कार का ऐलान कर दिया है.
सरकारी अस्पतालों में कार्यरत 113 विशेषज्ञ चिकित्सकों के उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों से प्रशिक्षण प्राप्त इन चिकित्सकों का पीजी डिप्लोमा सवालों के घेरे में है. जबकि उन्हीं विशेषज्ञ डॉक्टरों से प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग मरीजों का इलाज करवा भी रहा है. विशेषज्ञ डॉक्टर लगातार मांग कर रहे हैं कि उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल, यूपी से प्राप्त डिग्री को मान्यता दे.
बैठक में वक्ताओं ने कहा कि इन मांगों के संबंध में भी कई बार सरकार और शासन को अवगत कराया जा चुका है, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो रहा है. इस अनदेखी पर विशेषज्ञ डाक्टरों ने 10 सितंबर से कार्यबहिष्कार का निर्णय लिया है
वहीं आइएमए की प्रदेश शाखा ने यह निर्णय लिया है कि सभी निजी अस्पताल अपने मरीजों को 13 सितंबर से पहले डिस्चार्ज कर देंगे. 15 सितंबर से उन्होंने अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी है. निजी व सरकारी चिकित्सकों के इन तेवर के कारण मरीजों पर आफत आने वाली है.
अधिकारियों का कहना है कि क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट पर हाईकोर्ट का आदेश है. न्यायालय के आदेश का अनुपालन कराना हमारा दायित्व है. जहां तक सरकारी अस्पतालों के विशेषज्ञ चिकित्सकों का प्रकरण है, यह विषय एमसीआइ में रखा जाएगा. उनसे अनुरोध है कि पूर्व की भांति अपने दायित्वों का निर्वहन करते रहें.
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