Featured

आज है पिथौरागढ़ में चौपखिया मेला

पिथौरागढ़ मुख्यालय से आठ किमी की दूरी पर वड्डा बाज़ार स्थित है. करीब चालीस से पचास गावों के लिये वड्डा बाजार एक मुख्य बाज़ार का काम करती है.

वड्डा बाज़ार से करीब दो-एक किमी की दूरी पर चौमू देवता का मंदिर स्थित है. चौमू के स्थनीय देवता का नाम है, जिनका मूलस्थान चम्पावत जिले में गुमदेश स्थित चमलदेव में है.

चार मुंह होने के कारण इसे चौमूं भी कहा जाता है. चौमू को पशुचारकों का मुख्य देवता माना जाता है. इसकी तुलना वैदिक देवता पूषन से भी की जाती है जिसे रास्ता भूल जाने वालों का मार्गदर्शक माना जाता है. इसके रथ को बकरों द्वारा खींचा जाता है और यह चारागाह में जाने वाले पशुओं का रक्षक है.

सोर पट्टी में वड्डा के नज़दीक चौपखिया के चौमू का विशेष प्रभाव है. चौपखिया का मंदिर अपनी सुन्दर मूर्तियों के लिए विशेष चर्चित है.  

अश्विन मास की नवरात्रियों की नवमी तिथि को यहां प्रत्येक वर्ष मेले का आयोजन होता है. पिथौरागढ़ के रयांसी गाँव के पार्श्व में अवस्थित चौमू देवता के मंदिर के प्रांगण में अश्विन की नवरात्रियों में इसके सम्मान में एक मेले का आयोजन होता है, जिसे चौपखया का मेला कहा जाता है.

फोटो : दैनिक जागरण से साभार

चौमू के डंगरिये को एक पालकी में बिठाकर ढोल-नगाड़ों के बीच ले जाया जाता है. देवता का अवतरण होने पर वह खेलने अर्थात नाचने लगता है.

जनसमूह चौमू देवता के समक्ष अपनी व्यथाओं को प्रस्तुत करता है तथा मुक्ति के उपायों के बारे में जानकारी चाहता है. धामी उन्हें आशीष के रूप में पुष्प व अक्षत देता है जिन्हें वे श्रद्धा से ग्रहण करते हैं.

इस मेले में नेपाल और भारत के बीच सीमा बनाने वाली काली नदी घाटी के बहुत से लोग आते हैं. यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें खेती बहुत अच्छी होती है.

यही कारण है कि इस मेले में कृषि उपकरण आज भी खूब बिकते हैं. हाथ से बने लकड़ी के हल की मांग लोगों के बीच खूब रहती है. इस मेले में भारत और नेपाल दोनों देशों के लोग शामिल होते हैं.

फोटो : दैनिक जागरण साभार

-काफल ट्री डेस्क

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

17 hours ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

7 days ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

1 week ago

इस बार दो दिन मनाएं दीपावली

शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को…

1 week ago

गुम : रजनीश की कविता

तकलीफ़ तो बहुत हुए थी... तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,…

1 week ago

मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा

चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार…

2 weeks ago