कला साहित्य

चलो सखी पर्वत है आएं

चलो सखी पर्वत है आएं 
सब आपस में चंदा करकैं
डीजल की गाड़ी में भर कैं
देहरी छू भज आएं 
चलो सखी पर्वत है आएं

काउ नाव में बैठ-बाठ कैं
माल रोड की काउ लाट पैं
स्लीवलेस पे टैटू गाँठ कैं
सेल्फ़ी खूब खिचाएँ 
चलो सखी पर्वत है आएं

रोहतांग पर जायकैं खेलैं
पाँच हजार कौ कमरा लेलैं
बैठ वहीं सब ऑडर पेलैं
रम के पैग बनाएं
चलो सखी पर्वत है आएं

इतें-उतें ,हम कितें न देखैं
चिप्स कुरकुरे पैकिट फेंकैं
पूरी चढ़ाई भर-भर ओकैं
एवोमिन मंगवाएं
चलो सखी पर्वत है आएं

गिर कैं ऊपर लदर-पदर
हम पूरी मसूरी मचा गदर
छोड़ कमोड में अपओं असर
चेकआउट करि जाएं
चलो सखी पर्वत है आएं

खुदै दिखाऐं कर्रो सहरी
सौ रुपिया में लैं दस चैरी
रूखी खाय कैं स्ट्राबेरी
बुद्धू घर कौ आएं
चलो सखी पर्वत है आएं

घाटी देखो आय गई दून
यहीं मनेगौ हन्नीमून
जब-जब हूँ आए जे जून
दिल्ली से दौड़ आएं
चलो सखी पर्वत है आएं

होने दो जो है गई भीड़?
है कसोल में अपनौ नीड़
वहीं मिलैगी असली वीड
सुट्टा ख़ूब लगाएं
चलो सखी पर्वत है आएं

क्या घाटी,क्या झरने-पर्वत
अपने बाप की पूरी कुदरत 
रोके हमको किसमें हिम्मत
मूड़ पे लट्ठ बजाएं
चलो सखी पर्वत है आएं

प्रिय अभिषेक
मूलतः ग्वालियर से वास्ता रखने वाले प्रिय अभिषेक सोशल मीडिया पर अपने चुटीले लेखों और सुन्दर भाषा के लिए जाने जाते हैं. वर्तमान में भोपाल में कार्यरत हैं.

काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online

उत्तराखण्ड में सेल्फी टूरिज्म से बढ़ते खतरे

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

2 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

3 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago