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हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 40

आज स्थिति बिल्कुल अलग हो गई है पूरा हल्द्वानी और उसके आसपास के मीलों तक फैले गांव फतेहपुर, लामाचौड़, लालकुआं…

6 years ago

पहाड़, पर्यावरण और प्लास्टिक का कचरा

अस्सी के दशक के शुरुआती वर्षों के दौरान मेरे गाँव के लोग स्थायी गाँव से दूर खेड़े (मंजरों) में जमीन…

6 years ago

कहो देबी, कथा कहो – 15

किलै, मैं देबी उस दिन कमरे में अकेला था. कमरे का दरवाजा भी बंद था. गहरे सोच में डूबा था…

6 years ago

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 37

  पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम…

6 years ago

यह क्रांतिकारी दिन था

साधो हम बासी उस देस के – 3 -ब्रजभूषण पाण्डेय टुच्ची और हमारी सारी उम्मीदें तो बस ग्रू के करम…

6 years ago

आज भी बरकरार है बौराणी मेले की रंगत

उत्तराखण्ड को अगर पर्वों, उत्सवों और मेलों की भी धरती कहा जाये तो ग़लत नहीं होगा. पूरे प्रदेश में साल…

6 years ago

हां मैंने चलाए साइकल के लचक मारते, पुराने टायर और भरपूर मजा लूटा

पहाड़ और मेरा बचपन – 9 (पिछली क़िस्त : कंचों के खेल ने साबित किया कि मैं कृष्ण जैसा अवतार…

6 years ago

एनआईटी पर जनता के साथ छल करती सरकार

क्या मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत श्रीनगर ( गढ़वाल ) स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान ( एनआईटी ) के स्थाई परिसर के…

6 years ago

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 36

  पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम…

6 years ago

यमराज और बूढ़ी माँ की लोककथा

शाम सामने वाले गदेरों को सुरमई बना रही थी. स्वीली घाम (शाम को ढलते सूरज की हल्की पीली रोशनी) दीवा…

6 years ago