कला साहित्य

आवारा भीड़ के खतरे : हरिशंकर परसाई

एक अंतरंग गोष्ठी सी हो रही थी युवा असंतोष पर. इलाहाबाद के लक्ष्मीकांत वर्मा ने बताया - पिछली दीपावली पर…

3 years ago

एक मध्यमवर्गीय कुत्ता : हरिशंकर परसाई

मेरे मित्र की कार बँगले में घुसी तो उतरते हुए मैंने पूछा, 'इनके यहाँ कुत्ता तो नहीं है?' मित्र ने…

3 years ago

कहानी : छाता

बसंत ऋतु की बारिश चीजों को भिगोने के लिए काफी नहीं थी. झीसी इतनी हलकी थी कि बस त्वचा थोड़ा…

3 years ago

आखिरी पत्ता

-ओ हेनरी वाशिंगटन चौक के पश्चिम की ओर एक छोटा-सा मुहल्ला है जिसमें टेढ़ी-मेढ़ी गलियों के जाल में कई बस्तियां…

3 years ago

लोककथा : कैदी

-ओ. हेनरी जीवन के सुख-दुख का प्रतिबिंब मनुष्य के मुखड़े पर सदैव तैरता रहता है, लेकिन उसे ढूँढ़ निकालने की…

3 years ago

फूलो का कुर्ता : यशपाल की कहानी

हमारे यहां गांव बहुत छोटे-छोटे हैं. कहीं-कहीं तो बहुत ही छोटे, दस-बीस घर से लेकर पांच-छह घर तक और बहुत…

3 years ago

कहानी : गाँव में कुछ बहुत बुरा होने वाला है

एक बहुत छोटे से गाँव की सोचिए जहाँ एक बूढ़ी औरत रहती है, जिसके दो बच्चे हैं, पहला सत्रह साल…

3 years ago

शैलेश मटियानी की कहानी : बित्ता भर सुख

अपने इस नए कार्यक्षेत्र में आने के बाद उसे यह पहला बच्चा जनवाना है. परसों जब वह यहाँ पहुँची, शाम…

3 years ago

ज्ञान पंत की रचनाओं में बसता है समूचा पहाड़

हाल ही के वर्षो में ’बाटुइ’ शीर्षक से प्रकाशित कविता संग्रह कुमाउनी साहित्य में रुचि रखने वालों लोगों के लिए…

3 years ago

शैलेश मटियानी की कहानी : ऋण

सब झूठ-भरम का फेर रे-ए-ए-ए...माया-ममता का घेरा रे-ए-ए-ए...कोई ना तेरा, ना मेरा रे-ए-ए-ए... नटवर पंडित का कंठ-स्वर ऐसे पंचम पर…

3 years ago