समाज

कुटुर: परदेश रहने वाले बच्चों के लिये ईजा के प्यार की पोटली

बेटे के परदेश और बेटी के ससुराल जाने की पुरानी रवायत पहाड़ों में रही है. बेटों को बड़े शहर भेजना…

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बैरासकुण्ड: जहां रावण ने मुण्डों की आहूति देकर ब्रह्मा जी को रिझाया था

उत्तराखण्ड के जिस स्थान पर रावण ने मुण्डों की आहूति देकर पितामह ब्रह्मा को रिझाया था, उस स्थान का नाम…

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अद्भुत है उत्तराखंड में रामलीलाओं के मंचन की परम्परा

प्राचीनकाल से ही उत्तराराखण्ड का सम्बन्ध रामभक्ति परम्परा से रहा है. डॉ0 शिवप्रसाद नैथानी के कथनानुसार - श्रीराम कथा के…

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गढ़वाल में रामलीला के मंचन का इतिहास

रामलीला पर्वतीय प्रदेश उत्तराखण्ड के विभिन्न स्थानों में आयोजित की जाती रही है, जिनमें सर्वप्रथम अल्मोड़ा कुमांउनी रामलीला की जन्मस्थली…

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शैलेश मटियानी की जन्मतिथि पर भावपूर्ण स्मरण

दुख ही जीवन की कथा रहीक्या कहूँ आज जो नहीं कही निराला जी की ये पंक्तियाँ जितनी हिंदी काव्य के…

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उत्तराखंड की वनराजी जनजाति पर जमीनी रपट

उत्तराखंड की पांच जनजातियों थारू, बोक्सा, भोटिया, जौनसारी और वनराजी में संभवतः सबसे पिछड़ी और कम जनसंख्या वाली जनजाति है…

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मासी: ऊंचे कैलास में खिलने वाला हिमालय के देवी-देवताओं का प्रिय फूल

मासी, रैमासी, जटामासी किसी भी नाम से पुकार लीजिये इसकी महक कम न होगी. पहाड़ के अनेक लोकगीतों में इसके…

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टीवी है ज़रूरी: उमेश तिवारी ‘विश्वास’ का व्यंग्य

एक ज़माने में जब मुल्क में टी वी अवतरित हुआ उसे दूरदर्शन के नाम से जाना गया. मालूम नहीं उसका…

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डड्वार: गढ़वाल की विलुप्त होती परम्परा

डड्वार, गढ़वाल में दिया जाने वाला एक प्रकार का पारितोषिक है. जिसे पहले तीन लोगों को दिया जाता था: ब्राह्मण,…

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थल केदार: महादेव का तीन हजार वर्ष पुराना आराधना स्थल

पुराण के मानसखण्ड में महर्षि व्यास ऋषियों को बताते हैं कि सरयू और श्यामा नदियों के बीच में भव्य स्थाकिल…

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