समाज

मासी: ऊंचे कैलास में खिलने वाला हिमालय के देवी-देवताओं का प्रिय फूल

मासी, रैमासी, जटामासी किसी भी नाम से पुकार लीजिये इसकी महक कम न होगी. पहाड़ के अनेक लोकगीतों में इसके…

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टीवी है ज़रूरी: उमेश तिवारी ‘विश्वास’ का व्यंग्य

एक ज़माने में जब मुल्क में टी वी अवतरित हुआ उसे दूरदर्शन के नाम से जाना गया. मालूम नहीं उसका…

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डड्वार: गढ़वाल की विलुप्त होती परम्परा

डड्वार, गढ़वाल में दिया जाने वाला एक प्रकार का पारितोषिक है. जिसे पहले तीन लोगों को दिया जाता था: ब्राह्मण,…

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थल केदार: महादेव का तीन हजार वर्ष पुराना आराधना स्थल

पुराण के मानसखण्ड में महर्षि व्यास ऋषियों को बताते हैं कि सरयू और श्यामा नदियों के बीच में भव्य स्थाकिल…

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कुमाऊं के पंत ब्राह्मणों का पश्चिमी एशिया से संबंध

आठवीं शताब्दी में गुजरात में मुसलमान आक्रमणकारियों द्वारा सत्ता हथिया ली गई थी. यह संभव है कि उस समय कोई…

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भोटान्तिक व्यापार के रास्ते, तरीके और माल असबाब

मल्ला दारमा के भोटान्तिकों का व्यापार पथ जो अजपथ और अश्व पथ से विकसित हुआ वह दारमा दर्रे (18510फ़ीट) से…

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अल्मोड़े के दो खदवे दोस्त और चुटिया खींचने वाले मसाण की लोककथा

अल्मोड़े के पास एक गांव में अल्पबुद्धि और दीर्घबुद्धि नाम के दो दोस्त हुआ करते थे. अल्पबुद्धि, नाई और दीर्घबुद्धि,…

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जिनके बिना भवाली का इतिहास अधूरा है

ब्रिटिश शासन के दौरान ही भवाली के पास नैनीताल-हल्द्वानी रोड पर लगभग एक किमी की दूरी पर वर्ष 1912 में…

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ख्वाड़: ईजा द्वारा अपने बच्चे के लिये बनाई जाने वाली एक दुनिया

महिलायें पहाड़ में जीवन की रीढ़ हैं. महिलायें न होती तो पहाड़ दशकों पहले बंजर हो जाते. संघर्ष से भरे…

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बौधाण: पहाड़ियों के जानवरों का लोकदेवता

आंगन में बिना जानवरों के पहाड़ में जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती. जानवर उनके जीवन में दिन और…

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