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मध्य देशों से कुमाऊं-गढ़वाल के घरों में कैसे पहुंची नाक की नथुली

उत्तराखंड में महिलाओं के आभूषण किसी को भी आकर्षित कर सकते हैं. इन्हीं आभूषणों में एक नाक की नथ या…

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घर की देहली पर बनाये जाने वाले ऐपण

ऐपण कुमाऊनी आलेखन परंपरा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह कुमाऊँ के लोकजीवन व धार्मिक आयोजनों का महत्वपूर्ण पक्ष है.…

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रंगवाली पिछौड़ा : कुमाऊनी महिलाओं की पहचान

उत्तराखंड का परम्परागत परिधान आदर्शतः वहां के वासिंदों की जीवन शैली के साथ ही वहां की प्रजातीय समुदाय की विशिष्ट…

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उत्तराखंड के वैवाहिक रीति-रिवाज में विशेष महत्व है समधी-समधिन का

कुमाऊं और गढ़वाल में बहुत सी ऐसी परम्परा और रीतियां हैं जो अब हमें केवल किताबों में देखने को मिलती…

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माँ नंदा के भाई लाटू देवता के मंदिर में पुजारी आंखों में पट्टी बांधकर करता है पूजा

लाटू देवता को उत्तराखण्ड की अनन्य इष्ट देवी नंदा का धर्म भाई माना जाता है. इसलिए माँ नंदा को पूजे…

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भेलिधरण या भेली धरना: कुमाऊँ का एक वैवाहिक अनुष्ठान

भेली धरना या भेलिधरण कुमाऊँ के वैवाहिक अनुष्ठानों में सगाई की एक रस्म की तरह ही है. इसका शाब्दिक अर्थ…

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मासी का सोमनाथ मेला

सोमनाथ भगवान शंकर का पर्यायवाची नाम है. सोमनाथेश्वर नामक स्थान पर झाड़ियों के बीच एक गुफा के अन्दर शिवलिंग की…

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रं समाज में विवाह पद्धतियां

रं समाज में मुख्यतः एकल विवाह ही होता है, परन्तु कभी-कभी बच्चे नहीं होने की दशा में या पत्नी की…

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ग्राम तिदांग के ह्या छूङ सै की कहानी

ग्राम तिदांग के ह्या रंचिम का युग व सिम कच्यरो पैं के युग की समाप्ति के बाद ह्या छूङ सै…

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ग्राम तिदांग के सिम कच्यरों पैं की कहानी

तिदांग रंचिम के युग की समाप्ति के बाद तिदांग में सिम कच्यरो पैं (तीन कच्यरो भाई) का युग शुरू होता…

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