कॉलम

सूरज की मिस्ड काल – 8

धूप का चौकोर टुकड़ा सुबह का समय है. कमरे के बाहर बरामदे में धूप का चौकोर टुकड़ा अससाया सा लेटा…

6 years ago

कहो देबी, कथा कहो – 2

पिछली कड़ी वे संगी-साथी हां तो सुनो, कक्षा में मेरे एक-दो दोस्त बन गए, लेकिन निवास पर मैं अलग-थलग-सा पड़…

6 years ago

माफ़ करना हे पिता – 3

(पिछली क़िस्त: माफ़ करना हे पिता - 2) एक दिन सुबह के वक्त मैं खेलता हुआ मकान मालिक के आँगन…

6 years ago

रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा – 3

(पिछली क़िस्त का लिंक - रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा - 2) सुनसान बुग्याल में मुझे दो युवा…

6 years ago

तुझे वहां से भला कैसे लेकर आऊंगा

बहन ने कहा -चंद्रभूषण पानी खींचने की प्रतियोगिता चल रही थी कोई विजेता खड़ा था, जिसका नाम भूल गया फिर…

6 years ago

प्रेमचंद की याद

हिंदी भाषा के सबसे बड़े रचनाकार के रूप में आज भी प्रेमचंद की ही मान्यता है. हिंदी गद्य को आधुनिक…

6 years ago

सिंसूण अर्थात बिच्छू घास की कथा

मध्य हिमालय के उत्तराखंड में बसा पौराणिक मानसखंड कुमाऊँ मंडल तथा केदारखंड गढ़वाल मंडल जो अब उत्तराखंड के नाम से…

6 years ago

माफ़ करना हे पिता – 2

(पिछली क़िस्त: माफ़ करना हे पिता - 1) इसी कोठरी में मुझसे तीनेक साल छोटी बहन लगभग इतनी ही उम्र…

6 years ago

रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा – 2

(पिछली क़िस्त का लिंक - रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा - 1) मेरे पहुँचते ही मुझे चाय मिल…

6 years ago

क्या एक गमले की मिट्टी काफ़ी है इस वैभव को सींचने में

फ़ीके रंग वाला फूल कितने आक्रामक लगते है ये चटख रंग. कांच के टुकड़ों की तरह आँखों में घुसे जाते…

6 years ago