धूप का चौकोर टुकड़ा सुबह का समय है. कमरे के बाहर बरामदे में धूप का चौकोर टुकड़ा अससाया सा लेटा…
पिछली कड़ी वे संगी-साथी हां तो सुनो, कक्षा में मेरे एक-दो दोस्त बन गए, लेकिन निवास पर मैं अलग-थलग-सा पड़…
(पिछली क़िस्त: माफ़ करना हे पिता - 2) एक दिन सुबह के वक्त मैं खेलता हुआ मकान मालिक के आँगन…
(पिछली क़िस्त का लिंक - रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा - 2) सुनसान बुग्याल में मुझे दो युवा…
बहन ने कहा -चंद्रभूषण पानी खींचने की प्रतियोगिता चल रही थी कोई विजेता खड़ा था, जिसका नाम भूल गया फिर…
हिंदी भाषा के सबसे बड़े रचनाकार के रूप में आज भी प्रेमचंद की ही मान्यता है. हिंदी गद्य को आधुनिक…
मध्य हिमालय के उत्तराखंड में बसा पौराणिक मानसखंड कुमाऊँ मंडल तथा केदारखंड गढ़वाल मंडल जो अब उत्तराखंड के नाम से…
(पिछली क़िस्त: माफ़ करना हे पिता - 1) इसी कोठरी में मुझसे तीनेक साल छोटी बहन लगभग इतनी ही उम्र…
(पिछली क़िस्त का लिंक - रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा - 1) मेरे पहुँचते ही मुझे चाय मिल…
फ़ीके रंग वाला फूल कितने आक्रामक लगते है ये चटख रंग. कांच के टुकड़ों की तरह आँखों में घुसे जाते…