टोक्यो ओलम्पिक में हैटट्रिक लगाकर इतिहास रचने वाली उत्तराखण्ड की वंदना कटारिया के परिवार पर स्थानीय लोगों ने जातीय टिप्पणिया कीं. गौरतलब है कि वंदना कटारिया ओलम्पिक के 125 साल के इतिहास में 3 गोलकर दागकर हैट्रिक जमाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं. उनके इस प्रदर्शन की भारत को सेमीफाइनल तक पहुंचाने में अहम भूमिका रही. उत्तराखंड की बेटी ने ओलम्पिक में रचा इतिहास… (Casteist Slurs Abuses Thrown at Olympic Star Hockey Player Vandana Katariya Family in Haridwar)
टोक्यों ओलम्पिक के सेमीफाइनल में भारतीय टीम को अर्जेंटीना से पराजित होना पड़ा था. इस हार के बाद वंदना के रोशनाबाद (हरिद्वार) स्थित घर के बाहर पटाखे फोड़ने और जातिगत टिप्पणी करने का मामला सामने आया है. वंदना के भाई शेखर के अनुसार — ‘सेमीफाइनल में टीम की हार से हम सभी दुखी थे. लेकिन इस बात का गर्व है कि संघर्ष करते हुए हार मिली. मैच के कुछ देर बाद घर के बाहर पटाखों का शोर सुनाई दिया. बाहर जाकर देखा तो ‘उच्च’ जाति के 2 युवक नाच रहे थे.’
परिवार के लोग घर से बाहर आये तो नाच रहे युवकों ने उन पर जातिगत छींटाकशी शुरू कर दी. वे कहने लगे कि टीम में कई दलित खिलाडियों के होने की वजह से भारत को हार मिली. उन्होंने यह भी कहा कि केवल हॉकी ही नहीं बल्कि सभी खेलों से दलितों को दूर ही रखा जाना चाहिए. इसके बाद सभी शर्ट उतारकर नाचने लगे.
वंदना के परिवार की तहरीर के आधार पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर एक आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया है.
(Uttarakhand Daughter Created History Olympics)
वंदना उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के छोटे से क्षेत्र रोशनाबाद की रहने वाली हैं. वंदना के हॉकी के सफ़र की शुरुआत इसी रोशनाबाद से ही हुई. ‘भेल’ हरिद्वार से रिटायर होने के बाद उनके पिता नाहर सिंह ने रोशनाबाद में ही दूध का व्यवसाय शुरू किया.
जब वंदना कटारिया ने हॉकी कि दुनिया में कदम रखा तो उनका और उनके परिवार का खूब माखौल उड़ाया गया. इसके बावजूद परिवार के साथ ने वंदना के कदमों को मजबूती दी. वंदना कटारिया की मां सरणा देवी ने भी कभी लोगों की बातों की परवाह न की.
समाज के बाद अगली चुनौती थी खेल के ढांचे का न होना. रोशनाबाद में खेलों की बुनियादी सुविधाएं नहीं थी. वंदना को न खेल का मैदान मिला न साथ में खेलने को साथी. वंदना ने इसका भी उपाय निकाला और शुरुआती दौर में लड़कों के साथ ही प्रैक्टिस शुरू कर दी. परिवार को इसके लिये भी समाज के ताने सुनने पड़े. अब आगे बढ़कर वंदना कटारिया ने अपने प्रोफेशनल कैरियर मेरठ से की. (Uttarakhand Daughter Created History Olympics)
हरिद्वार में वंदना को खेलते हुये प्रदीप चिन्योटी ने पहली बार देखा. जिसके बाद वंदना मेरठ आई और वहां मेरठ के एनएएस कॉलेज स्थित हॉकी मैदान पर कोच प्रदीप चिन्योटी के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण शुरु किया. साल 2004 से 2006 तक वंदना ने मेरठ में प्रशिक्षण लिया. यहां वह जिले से लेकर प्रदेश स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती थी. साल 2007 की शुरुआत में वंदना का चयन लखनऊ स्थित हॉकी हास्टल के लिए हुआ. यहां से उनके अन्तराष्ट्रीय करियर की शुरुआत हुई.
बीते मई में जब वंदना टोक्यो ओलिंपिक की तैयारियों में जुटी हुई थी तभी उनके गांव में उनने पिता का निधन हो गया. पिता के निधन के समय वंदना कटारिया बंगलौर में थी. पिता के निधन पर वह गांव न लौट सकी पर दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हुए मैच में शानदार प्रदर्शन कर पिता को श्रद्धांजलि दी.
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जिन कपूतों ने वंदना कटारिया के घर के बाहर ऐसी नीच हरकत की है, उन्होंने कभी किसी खेल में गली कूचों में भी अपने मां बाप का नाम रोशन नहीं किया होगा, लेकिन इस हरकत से बट्टा जरूर लगा दिया है । सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ऐसे नीच लोगों पर ।
ये वही लोग होंगे जिनका जीवन में कोई मकसद नहीं है बस ओरों की छींटा कशी से ही इनका वजूद है।
इतनी घिनौनी मानसिकता रखने वाले इन लोगों को कठोर दंड दिया जाना चाहिए। ये क्या जाने उन खिलाड़ियों का संघर्ष क्या है, जिस मुकाम पर वो पहुचे है उसकी अहमियत से अनविज्ञ इन कुपूतो को सबब सिखाना अति आवश्यक है कि इंसानियत से अलग कोई जाति नहीं और महानता कर्म से आती है। समाज पर कलंक इन ढूर्तो पर कार्रवाई जरूरी बन जाती है ताकि ऐसी मानसिकता वालो को भी संदेश दिया जा सके।
देशद्रोही है यह लोग बिटियां का अपमान के साथ साथ देश का अपमान किया है देश की हार से खुश हो कर देशद्रोह किया है कठोर से कठोर सजा मिलनी चाहिए इन्हें