फोटो : जयमित्र सिंह बिष्ट
अल्मोड़ा से कुल तीस किलोमीटर दूर 2,420 मीटर की ऊंचाई पर अवस्थित है बिनसर. यहाँ से हिमालय की जादुई छवियाँ देखने को मिलती हैं. प्रकृति की गोद में बसा यह स्थान बिनसर वन्यजीव अभ्यारण्य का हिस्सा है.
जंगल में वन्यजीवों और विविध प्रकार के पक्षियों की बहुलता है. यह स्थान पिछले कुछ वर्षों से पर्यटकों की फेहरिस्त में काफी ऊपर पहुंचा है.
बिनसर एक जादुई जगह है. मौसम चाहे कोई सा भी हो बिनसर का आकर्षण कभी कम नहीं होता. हिमालय के सुन्दर दृश्यों और जाड़ों की बर्फबारी के बाद वसंत का मौसम आता है.
यहाँ का वसंत एक तरह से रंगों, गंधों और सौन्दर्य का कोलाहलकारी आक्रमण होता है.
इसकी संगत में आने वाला हर व्यक्ति इसके पाश में बंध जाता है.
मानसून के समय बिनसर के जंगलों में उगी प्रचुर हरियाली इसे अमेज़न के किसी जंगल के समकक्ष बना देती है.
एक समय बिनसर में तत्कालीन चंद राजाओं की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करती थी.
चंद राजवंश ने अनेक शताब्दियों तक कुमाऊँ पर शासन किया था.
ब्रिटिश राज के समय के अनेक शानदार बंगले आज भी बिनसर में देखे जा सकते हैं.
चंद राजाओं ने अपराधियों के लिए यहीं एक कारागार का भी निर्माण कराया था.
ब्रिटिश कमिश्नर हैनरी रैम्जे ने भी अपना बँगला यहीं बनवाया.
भगवान शिव कुमाऊँ में पूजे जाने वाले सबसे बड़े आराध्य हैं.
उन को समर्पित एक मंदिर भी यहाँ है.
यह सबसे बड़े लोकदेवता गैराड़ गोलू देवता की कर्मस्थली भी रहा है. गैराड़ गोलू देवता का एक छोटा सा मंदिर भी बिनसर के जंगलों में मौजूद है.
वर्ष 2014 में बिनसर में ऐतिहासिक बर्फबारी हुई थी.
इसे हमारे साथी जयमित्र सिंह बिष्ट ने अपने कैमरे में कैद किया था. आप भी उनकी तस्वीरों का आनंद लीजिये.
जयमित्र सिंह बिष्ट
अल्मोड़ा के जयमित्र बेहतरीन फोटोग्राफर होने के साथ साथ तमाम तरह की एडवेंचर गतिविधियों में मुब्तिला रहते हैं. उनका प्रतिष्ठान अल्मोड़ा किताबघर शहर के बुद्धिजीवियों का प्रिय अड्डा है. काफल ट्री के अन्तरंग सहयोगी.
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