अल्मोड़ा से करीब तीस किलोमीटर दूर स्थित बिनसर वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी के घने जंगल बरसातों में इस कदर हरे हो जाते हैं कि आपको उनसे प्यार हो जाता है.
स्पेन के महान कवि फेडेरिको गार्सिया लोर्का अपनी एक कविता में लिखते हैं:
हरे, कितना तुझे प्यार करता हूं हरे!
हरी हवा, हरी टहनियां
समुन्दर में वो रहा जहाज़
और पहाड़ के ऊपर वह घोड़ा …
उस स्त्री की कमर के घेरे के गिर्द छाया
अपने छज्जे में स्वप्न देखती है वह
हरी देह, हरे ही उसके केश
और आंखों में ठण्डी चांदी
हरे, कितना तुझे प्यार करता हूं हरे
बंजारे चांद के नीचे
दुनिया की हर चीज़ उसे देख सकती है
जबकि वह नहीं देख सकती किसी को भी.
अल्मोड़ा से कुल तीस किलोमीटर दूर 2,420 मीटर की ऊंचाई पर अवस्थित है बिनसर. यहाँ से हिमालय की जादुई छवियाँ देखने को मिलती हैं. प्रकृति की गोद में बसा यह स्थान बिनसर वन्यजीव अभ्यारण्य का हिस्सा है.
जंगल में वन्यजीवों और विविध प्रकार के पक्षियों की बहुलता है. यह स्थान पिछले कुछ वर्षों से पर्यटकों की फेहरिस्त में काफी ऊपर पहुंचा है.
बिनसर एक जादुई जगह है. मौसम चाहे कोई सा भी हो बिनसर का आकर्षण कभी कम नहीं होता. हिमालय के सुन्दर दृश्यों और जाड़ों की बर्फबारी के बाद वसंत का मौसम आता है.
यहाँ का वसंत एक तरह से रंगों, गंधों और सौन्दर्य का कोलाहलकारी आक्रमण होता है.
इसकी संगत में आने वाला हर व्यक्ति इसके पाश में बंध जाता है.
मानसून के समय बिनसर के जंगलों में उगी प्रचुर हरियाली इसे अमेज़न के किसी जंगल के समकक्ष बना देती है.
ऐसे प्यार करने लायक हरे से साक्षात्कार करना हो तो बिनसर से बेहतर जगह आपको नहीं मिलेगी.
सभी फोटो: अशोक पाण्डे
वाट्सएप में पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…
शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को…
तकलीफ़ तो बहुत हुए थी... तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,…
चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार…
देह तोड़ी है एक रिश्ते ने… आख़िरी बूँद पानी का भी न दे पाया. आख़िरी…