सिनेमा

हास्य की दुनिया का बेजोड़ बादशाह मिस्टर बीन

अपनी बचकानी शरारतों, शारीरिक अंगों के अजीब-ओ-गरीब हरक़त और अस्पष्ट संवादों के साथ कॉमेडी फिल्मों के माध्यम से हंसी पैदा करने वाले रोवन एटकिंसन का चेहरा ‘मिस्टर बीन’ के नाम से ही पूरी दुनिया में जाना जाता है. हर काम को करने का ‘मिस्टर बीन’ का अलग अंदाज है. बेवकूफी भरी उसकी कारगुजारियां कभी हल्का-फुल्का व्यंग पैदा करती हैं तो कभी कभी हंस-हंसकर लोटपोट हो जाने को विवश कर देती हैं. भूरे रंग का भालू वाला खिलौना उसका खास दोस्त है.

अपनी खास अदाओं से दुनियाभर के लोगों के चेहरे पर मुस्कान बिखेरने वाले प्रसिद्ध थिएटर आर्टिस्ट, फ़िल्म अभिनेता और लेखक रोवन एटकिंसन का जन्म 6 जनवरी 1955 को कॉन्सेट, डरहम (इंग्लैंड) में हुआ. उनके पिता एक किसान और व्यवसायी थे. 1975 में उन्होंने द कक्वीन्स कालेज, आक्सफोर्ड से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में एमएससी तक पढ़ाई करने के दौरान अभिनय के क्षेत्र में शुरुआत की. रोवन आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ड्रामाटिक सोसायटी में अभिनेता और स्क्रिप्ट लेखक के तौर पर जुड़े. बीबीसी रेडियो 3 के लिए एटकिंसन ने 1979 में द एटकिंसन पीपल नाम से एक बहुत प्रसिद्ध कार्यक्रम पेश किया. इस कार्यक्रम में महान लोगों के चरित्र में एटकिंसन अभिनय करते थे और उनके काल्पनिक साक्षात्कार लिए जाते थे. इस पूरी सीरीज को एटकिंसन के दोस्त रिचर्ड कर्टिस ने लिखा.

बहुत कम लोगों को पता है कि इस प्रसिद्ध अभिनेता को ‘हकलाने’ की समस्या है. अपने खास अभिनय से रोवन ने अपनी इस शारीरिक कमी को पूरी तरह ढक लिया और फिजिकल कामेडी के द्वारा मिस्टर बीन के किरदार को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई. रॉवन एटकिंसन ने रंगमंचीय प्रस्तुतियों से अपने अभिनय कैरिअर की शुरुआत की, उसके बाद टीवी और सिनेमा के क्षेत्र में भी खूब नाम कमाया. मिस्टर बीन के चरित्र पर आधारित एनिमेटेड कार्टून सीरीज भी बहुत प्रसिद्ध हुई. अपने कैरिअर के शुरुआती दिनों में ही उन्हें बीबीसी के टीवी कार्यक्रम नॉट डी नाइन ओ क्लाक न्यूज के लिए प्रतिष्ठित बाफ्टा अवार्ड मिला. 1983 में जेम्स बॉन्ड सीरीज की फ़िल्म नैवर से नैवर अगेन में भी उन्होंने एक छोटा किरदार निभाया. 1981 में अपनी रंगमंचीय प्रस्तुति के लिए उन्हें ऑलीवर अवार्ड भी प्राप्त हुआ.

एटकिंसन का सबसे प्रसिद्ध किरदार ‘मिस्टर बीन’ 1990 में थेम्स टेलीविजन पर आधे घण्टे के धारावाहिक के तौर पर शुरू हुआ. एटकिंसन और उनके यूनिवर्सिटी के समय के पुराने साथी रिचर्ड कर्टिस ने इस सीरीज को मिलकर लिखा. ज्यादातर समय भूरे कोट पैंट में नजर आने वाला यह हंसोड़ चरित्र रेस्टॉरेंट, स्कूल, परीक्षा हॉल, गोल्फ कोर्ट, पार्क, स्विमिंग पूल, ट्रेन, चर्च, हवाई यात्रा, अस्पताल या शॉपिंग करते हुए हर जगह अपनी अप्रत्याशित बेवकूफाना हरकतों से दर्शकों के दिलों को गुदगुदाने में बेहद सफल रहा. भारत में पोगो चैनल के माध्यम से ‘मिस्टर बीन’ हर घर तक पहुंचा. इस किरदार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफल रही दो फिल्मों बीन (1997) और मिस्टर बीन्स होलिडे (2007) में बड़े पर्दे पर भी प्रस्तुत किया गया. 2012 में अभिनय से सन्यास की घोषणा करने के बाद मिस्टर बीन ने 2016 में फिर से वापसी की. उन्होंने एक चीनी फ़िल्म में भी मिस्टर बीन की भूमिका निभाई.

1980 में रोवन एटकिंसन की मुलाकात मेकअप आर्टिस्ट सुनेत्र सेस्ट्री से हुई, दोनों ने 1990 में शादी की. इनके दो बच्चे हैं. 2015 में इनके बीच तलाक़ हो गया. रोवन एटकिंसन कारों के शौकीन हैं, कार रेसिंग में भी हाथ आजमाते हैं. लेखकों-अभिनेताओं के अधिकारों के लिए भी आवाज उठाते हैं.

रोवन एटकिंसन की मौत की अफवाहों ने 3 बार उनके प्रशंसकों के बीच खलबली मचाई है. जुलाई 2018 में ‘मिस्टर बीन’ के कार दुर्घटना में मौत की खबर वायरल हुई. यह ख़बर दरअसल कम्प्यूटर वायरस फैलाने की एक कोशिश थी. अपनी मौत की अफवाह का खंडन करने के लिए रोवन एटकिंसन ने 19 जुलाई 2018 को मजाकिया ट्वीट किया – I am Not Dead. Trust Me.

आज के इस समय में जब हंसने-मुस्कुराने के मौके लगातार कम होने लगे हैं तब हमारे आसपास ही रहने वाले, सामान्य आदमी की तरह दिखने वाले ‘मिस्टर बीन’ जैसे किरदार अभी भी टीवी, यूट्यूब आदि जगहों पर हर उम्र के लोगों को कुछ पल खिलखिलाने का मौका देते हैं.

हेम पंत मूलतः पिथौरागढ़ के रहने वाले हैं. वर्तमान में रुद्रपुर में कार्यरत हैं. हेम पंत उत्तराखंड में सांस्कृतिक चेतना  फैलाने  का कार्य कर रहे  ‘क्रियेटिव उत्तराखंड’ के एक सक्रिय सदस्य हैं .  

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा

दिन गुजरा रातें बीतीं और दीर्घ समय अंतराल के बाद कागज काला कर मन को…

2 weeks ago

हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़

हरे-घने हिमालयी जंगलों में, कई लोगों की नजरों से दूर, एक छोटी लेकिन वृक्ष  की…

2 weeks ago

भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़

उत्तराखण्ड में जमीनों के अंधाधुंध खरीद फरोख्त पर लगाम लगाने और यहॉ के मूल निवासियों…

2 weeks ago

यायावर की यादें : लेखक की अपनी यादों के भावनापूर्ण सिलसिले

देवेन्द्र मेवाड़ी साहित्य की दुनिया में मेरा पहला प्यार था. दुर्भाग्य से हममें से कोई…

2 weeks ago

कलबिष्ट : खसिया कुलदेवता

किताब की पैकिंग खुली तो आकर्षक सा मुखपन्ना था, नीले से पहाड़ पर सफेदी के…

3 weeks ago

खाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वार

गढ़वाल का प्रवेश द्वार और वर्तमान कोटद्वार-भाबर क्षेत्र 1900 के आसपास खाम स्टेट में आता…

3 weeks ago