जिला प्रशासन ने आपदा को देखते हुए पिंडारी, कफनी तथा सुंदरढूंगा ग्लेशियरों की सैर पर रोक की अवधि बढ़ा दी है. वन विभाग ने एक सितंबर से ग्लेशियर पर लगाई रोक हटाने का निर्णय लिया था. लेकिन 29 अगस्त को मल्ला दानपुर के कुछ हिस्सों में जोरदार बारिश से और नुकसान हुआ. जिसके चलते 15 सितंबर तक रोक रहेगी.
भारी बरसात से पिंडारी ग्लेशियर जाने वाली सड़क तथा पैदल मार्ग ध्वस्त हो गए हैं. पिंडर नदी में बना पैदल पुल भी बह गया है. अधिकारियों का कहना है कि15 सितंबर के बाद लोक निर्माण विभाग की टीम मार्ग का सर्वे करेगी, उसके बाद इस मसलें पर कुछ कहा जा सकेंगा.
पिण्डारी ग्लेशियर उत्तराखण्ड के कुमाऊं मण्डल में बागेश्वर जिले में स्थित है. यहां जाने के लिये सबसे पहले हल्द्वानी पहुंचना होता है. हल्द्वानी से अल्मोडा (96 किलोमीटर), अल्मोडा से बागेश्वर (80 किलोमीटर) और बागेश्वर से सौंग (40 किलोमीटर) पहुंचना होता है.
जगह -जगह तेज बारिश के कारण पिण्डारी ग्लेशियर तक पहुँचने में कोई ना कोई समस्या बरक़रार हैं. बागेश्वर जनपद में इस बरसात में सबसे अधिक बारिश दर्ज की गयी है. पिंडारी ग्लेशियर जाने वाले ट्रैक रूट पर ग्रामीण खाती गांव तक ही बेहद मुश्किल से जा रहे हैं . द्वाली में पिंडर नदी में बना लकड़ी का पैदल पुल बह गया है. इसे अभी तक बनाया नहीं जा सका है. पैदल रास्ते भी बह गए हैं.
फुरकिया से पिण्डारी जीरो पॉइण्ट (7 किलोमीटर) यह रास्ता बुग्यालों से होकर जाता है. कहीं कहीं बडे बडे पत्थर और चट्टानें भी हैं. पिण्डारी जीरो पॉइण्ट एक भयानक भूस्खलन क्षेत्र है. इसी के मद्देनजर प्रशासन ने पिंडारी ग्लेशियर सहित उच्च हिमालयी क्षेत्र में जाने पर ऐहतियातन रोक लगाई है. शासन ने भी अलर्ट जारी किया हुआ है. पर्यटकों को सलाह है कि वह ग्लेशियर क्षेत्र में 15 सितंबर तक न जाएं.
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