उत्तराखंड में कई ऐसी जगहें हैं जो अपने आप में अद्वितीय हैं. प्रकृति ने इन जगहों को इतना सुंदर बनाया है कि आप को यहां आकर जो आनन्द और अनुभूति होती है वह शायद कहीं और न हो. ऐसी ही एक जगह है बधाणगढ़ी जहां से हिमालय के दृश्य को देखकर आप मंत्रमुग्ध से हो जातें हैं.
(Badhangarhi Gwaldam Photos)
सुबह-सुबह सूर्य की पहली किरण हिमालय पर पड़ते ही इस पर गिरी बर्फ सोने सी चमक जाती है. ऐसा सुनहरा रंग जिसके आगे सोना भी फीका पड़ जाए. मैं पिछले कई सालों से इस जगह जाने के बारे में सोचता था पर यह संभव हो पाया नए साल 2022 के दूसरे दिन यानी 2 जनवरी 2022 को और वो भी अपने छोटे से परिवार और दोस्तों के साथ.
इस सुंदर जगह का नाम है “बधाणगढ़ी” और यह उत्तराखंड के दोनों मंडलों कुमाऊं और गढ़वाल की सीमा पर स्थित ग्वालदम (चमोली जिले) नामक कस्बे से तकरीबन 8किमी की दूरी पर स्थित है. अगर आप ग्वालदाम में हैं तो आप सड़क मार्ग से बीनातोली नामक जगह से कुछ आगे तक सड़क से अपने वाहन से आ सकते हैं जहां पर स्थित एक चाय की दुकान के पास से बधाणगढ़ी के लिए छोटे से ट्रेक की शुरुआत होती है.
हम सुबह पांच बजे उठकर ग्वालदम चौराहे पर खिलाफ़ साह जी की दुकान पर चाय पीकर यहां पहुंच गए. जनवरी की सर्द सुबह साह जी की दुकान पर ही आप को उन्हीं के हाथों से बनी गर्म चाय मिल सकती है. साथ में ग्वालदम और आसपास की जगहों के बारे में जानकारी भी. वो बड़े चाव से आपको ऐसे स्पॉट्स के बारे में बताते हैं जहां से आप सुंदर हिमालय के दर्शन कर सकते हैं. उनका अपना एक होटल भी ग्वालदम में है जो शायद एकमात्र बढ़िया जगह है रात गुजारने के लिए.
बहराल हम अपनी बाधनणढ़ी की यात्रा पर वापस आते हैं. हम पांच लोग अंधेरे में ही अपना ट्रेक शुरु करते हैं. इस पहाड़ के शिखर की यात्रा में हम पांचों में मेरी पत्नी इंदु, बेटा अविरल, रहमान भाई और आयुष भी शामिल थे जिनके लिए यह एक सरप्राइज़ ट्रिप था और ये हमारी जिन्दगी के यादगार ट्रिप्स में से एक बन गया.
ऊपर चढ़ते हुए थकान और गर्मी शुरू हो गई. चढ़ाई ऐसी खड़ी है कि सर्दियों में भी पसीना आने लगा. आप पहले तो ठंड की वजह से इतने कपड़े पहन लेते हैं पर चलने से आप उन्हें उतारने पर मजबूर हो जाते हैं. ऐसे में ज्यादा अच्छा यह रहेगा की आप अगर यहां आएं तो लाईट कपड़े पहन के चलना शुरु करें और कुछ गर्म कपड़े अलग से रख लें अगर सर्दियों में आ रहें हैं.
(Badhangarhi Gwaldam Photos)
चढ़ते-चढ़ते लालिमा सामने के पहाड़ों पर दिखने लगी जिसके साथ नेपाल हिमालय के शिखर आपी, नामपा, जेठी बहुरानी और अन्य श्रृंखलाएं लालिमा की मध्यम रोशनी में दिखने लगी. धीरे-धीरे रोशनी और सूर्य के दर्शन होने लगे ये वो पल था जब आप चलते-चलते रुक जाते हैं क्योंकि सूर्य की रोशनी हिमालय पर पड़ने लगती है और वो सोने जैसी चमक के साथ खिल उठता है. आप का मन उसको निहारे बगैर रह नहीं पाता.
मैंने एक धार के पास रास्ते से थोड़ा अलग जा कर कैमरा निकाल लिया और त्रिशूल,नंदा घूंटी, नंदा देवी, पंचाचुली और नेपाल हिमालय के फोटो लेना शुरु कर दिया. यहां से त्रिशूल पर्वत अपने सर्वश्रेष्ठ में दिखाई देता है और ये मेरा आकलन है की इस जगह से ज्यादा खूबसूरत त्रिशूल आपको और कहीं से नहीं दिखाई देगा. आज की सुबह तो त्रिशूल के ऊपर आए बादलों ने उसकी सुंदरता को और बड़ा दिया, फोटो खींचने में ऐसा आनन्द बहुत दिनों बाद आया ऐसा महसूस हुआ की ध्यानमग्न सा हो गया.
कभी-कभी ऐसे क्षण आते हैं जब आप फोटोग्राफी में ध्यान में चले जाते हैं, मैंने ऐसा कई बार महसूस भी किया है. बधाणगढ़ी प्राचीन समय में गढ़वाल के 52 दुर्गों में से एक रहा है. यहां पर स्थित मंदिर का निर्माण कत्यूरी शासकों द्वारा कराया गया. बधाण का मतलब इस इलाके पिंडर घाटी पूरे परगने से है गढ़ी का मतलब किले से है. स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां पर राजा के क्षत्रप रहा करते थे जो दुश्मन को प्रवेश करने से रोकते थे. इस किलेनुमा पहाड़ में चढ़ते समय बीच-बीच में मानव निर्मित खाईयां भी मिलती हैं जो शायद दुश्मन को फसाने के लिए बनाई गई होंगी.
(Badhangarhi Gwaldam Photos)
अल्मोड़ा में स्थापित नंदा देवी को राजा बाज बहादुर चंद बधाणगढ़ी से ही लाए थे. अभी भी बधाणगढ़ी मंदिर में उत्तराखंड की आराध्य मां नंदा और मां दक्षिणेश्वर काली भगवती की पूजा होती है. मंदिर के ठीक सामने चौखंबा, केदारनाथ और बद्रीनाथ जी की नीलकंठ हिमालय नजर आते हैं. मंदिर से थोड़ा ऊपर पहाड़ी पर जाने पर आप अपने आप को एक टापूनुमा जगह पर पाते हैं जहां पर एक वॉच टावर भी बनाया गया है जिसमें खड़े होकर आप अपने चारों ओर के दृश्य का अवलोकन कर सकते हैं.
यहां पर एक छोटा सा मंदिर भी है. हम लोग थोड़ा सुस्ताने के बैठे ही थे की हमारे अन्य साथी गोकुल शाही, सौरभ पांडे, वेदांत पांडे, हुकुम रावत, पिंकू जंगपांगी भी टॉप तक पहुंच गए. सभी ने एक ग्रुप फोटो से इस समय को यादगार बनाया. आप को भी अगर हिमालय के अलौकिक सौंदर्य के दर्शन और अनुभव करना है तो बधाणगढ़ी जरुर जाएं और एक यादगार यात्रा का आनन्द लें.
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जयमित्र सिंह बिष्ट
अल्मोड़ा के जयमित्र बेहतरीन फोटोग्राफर होने के साथ साथ तमाम तरह की एडवेंचर गतिविधियों में मुब्तिला रहते हैं. उनका प्रतिष्ठान अल्मोड़ा किताबघर शहर के बुद्धिजीवियों का प्रिय अड्डा है. काफल ट्री के अन्तरंग सहयोगी.
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मुब्तिला ही रहना , संलग्न नहीं लिख सकते ?