नहीं छिनेगा अंग सान सू ची का नोबेल

हालांकि संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि म्यांमार में सेना ने बड़े पैमाने पर रोहिंग्या मुस्लिमों का कत्लेआम किया था, इसके बावजूद अंग सान सू ची को दिया गया नोबेल शान्ति पुरूस्कार उनसे छीना नहीं जाएगा.

सोमवार को जारी अपनी रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र संघ के जांचकर्ताओं ने कहा था कि म्यांमार की सेना ने रोहिंग्याओं के साथ बड़े पैमाने पर हत्या और सामूहिक बलात्कार जैसे संगीन अपराध किये. इन जांचकर्ताओं ने सिफारिश की थी कि म्यांमार के कमांडर-इन-चीफ और पांच जनरलों पर मुक़दमा चलना चाहिए.

1991 का नोबेल शांति पुरूस्कार पा चुकीं म्यांमार सरकार की मुखिया अंग सान सू ची की इस विषय पर खामोश रहने की खूब आलोचना हुई है.

संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार प्रमुख जायद राद अल हसन में बीबीसी को एक साक्षात्कार में बताया कि ऐसे संकट के समय अंग सान सू ची का खामोश रहना बहुत शोचनीय है और उन्होंने त्यागपत्र दे देना चाहिए था.

एक साल पहले शुरू हुई सैन्य कार्रवाई के दौरान अब तक दसियों हजार रोहिंग्या मुस्लिम मारे जा चुके हैं और करीब 700,000 पलायन करने पर विवश हुए हैं. इनमें से अधिकतर पड़ोसी देश बांग्लादेश में शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं.

नॉर्वे में स्थित नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी के सचिव ओलाफ नोएलस्टाट ने सोमवार को बयान दिया: “यह याद रखना आवश्यक है कि नोबेल अवार्ड चाहे वह फिजिक्स के लिए दिया जाए चाहे शांति या साहित्य के लिए, पिछले समय की उपलब्धियों के आधार पर दिया जाता है. अंग सान सू ची को यह सम्मान 1991 तक के लोकतंत्र की बहाली के उनके आन्दोलन के लिए दिया गया था.”

उनका कहना था कि नोबेल कमेटी के नियमानुसार नोबेल पुरुस्कार वापस लिए जाने के प्रावधान नहीं हैं. 2017 में नोबेल कमेटी के मुखिया बेरिट एंडरसन ने भी कहा था कि अंग सान सू ची का नोबेल वापस नहीं लिया जाएगा. उनका कहना था : “यह काम हमारा नहीं है कि यह देखें कि पुरुस्कार मिलने के बाद व्यक्ति क्या करता है. पुरुस्कार विजेता को अपनी प्रसिद्धि की हिफाज़त खुद करनी चाहिए.”

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा

दिन गुजरा रातें बीतीं और दीर्घ समय अंतराल के बाद कागज काला कर मन को…

2 weeks ago

हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़

हरे-घने हिमालयी जंगलों में, कई लोगों की नजरों से दूर, एक छोटी लेकिन वृक्ष  की…

2 weeks ago

भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़

उत्तराखण्ड में जमीनों के अंधाधुंध खरीद फरोख्त पर लगाम लगाने और यहॉ के मूल निवासियों…

2 weeks ago

यायावर की यादें : लेखक की अपनी यादों के भावनापूर्ण सिलसिले

देवेन्द्र मेवाड़ी साहित्य की दुनिया में मेरा पहला प्यार था. दुर्भाग्य से हममें से कोई…

2 weeks ago

कलबिष्ट : खसिया कुलदेवता

किताब की पैकिंग खुली तो आकर्षक सा मुखपन्ना था, नीले से पहाड़ पर सफेदी के…

3 weeks ago

खाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वार

गढ़वाल का प्रवेश द्वार और वर्तमान कोटद्वार-भाबर क्षेत्र 1900 के आसपास खाम स्टेट में आता…

3 weeks ago