इन दिनों उत्तराखण्ड के कुमाऊं मंडल के बनबसा कस्बे में सेना की भर्ती चल रही है. इस भर्ती में अलग-अलग जिलों के लिए अलग-अलग दिन तय किये गए हैं. इस दौरान जबर्दस्त बरसात होने की वजह से शारीरिक परीक्षा के लिए तय ग्राउंड के हालात बहुत ख़राब हो गए. इस ग्राउंड में दौड़ लगाना साबुन की बट्टी पर चढ़कर दौड़ लगाने सरीखा असंभव कार्य हो गया. कीचड़ और पानी से भरे मैदान में लगाई गयी दौड़ में न जाने कितने नौजवानों के सपने फिसलकर खाई में गिर गए होंगे.
छावनी मैदान के अलावा और कोई मैदान उपलब्ध न होने के कारण सेना ने दौड़ का दिन आगे बढ़ाने के बजाय कीचड़ पर ही दौड़ करवाई गयी. दौड़ के दौरान कई युवा फिसलकर गिर जा रहे थे. सामान्य मैदान तक में भर्ती की दौड़ निकालने में अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाते हैं तो कीचड़ ने इसे और ज्यादा असंभव बना दिया. कई युवा इस मैदान की वजह से दौड़ निकालने से रह गए होंगे.
इतना ही नहीं इस कस्बे में खाने, रहने के पर्याप्त बंदोबस्त न होने के कारण इन नौजवानों को स्थानीय लोगों द्वारा लगाए गए अस्थायी टेंटों में रात बितानी पड़ी. इन दिनों लगातार हो रही बारिश की वजह से इन टैंटों के अन्दर पानी घुस गया, जिस वजह से नौजवान रात भर ठीक से सो नहीं पाए. अचानक आई बारिश के कारण कारोबारी खाना नहीं बना पाए और युवकों को भूखे ही सोना पड़ा.
इस अफरातफरी में जेबकतरे और जालसाज भी सक्रिय रहे. कई अस्थाई टेंटों से कई युवाओं के मोबाइल, पर्स साफ़ कर दिए गए.
मनमानी दरों पर स्टाम्प बेचकर शपथपत्र बनाने वाले. नकली दस्तावेज और पैसे लेकर भर्ती करवाने वाले नटवरलालों का गिरोह भी अपने चमत्कार दिखाता रहा. शुरूआती 3 दिनों तक ऑनलाइन स्टांप पेपर को अमान्य बताकर व्यापारी द्वारा मंहगी दरों पर स्टाम्प पेपर पर शपथ पत्र बनाने को विवश किया गया. भर्ती में शामिल युवकों की शिकायत के बाद सेना के अधिकारियों ने यूपी के स्टांप वेंडर को शपथ पत्र बनाकर देने से मना किया. जिन युवकों के पास शपथ पत्र नही हैं, उन्हें शपथ पत्र बाद में बीआरओ कार्यालय में जमा करने की सुविधा दी गयी है.
अब तक 10 से ज्यादा बाहरी प्रदेशों के जालसाज पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये गए हैं. ये जालसाज फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र आदि के अलावा पैसे लेकर भर्ती करवाने के नाम पर ठगी में संलिप्त थे.
(इनपुट: दैनिक जागरण, अमर उजाला और इन्टरनेट)
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क्या ये सही हुवा ? आयु की दृष्टि से कई युवाओ का ये अंतिम वर्ष रहा होगा और उसने खूब तेयारी भी की होगी ! इसे किसका दुर्भाग्य कहे !