इस ख़राबे में कोई मर्द कहां – फ़हमीदा रियाज़ को श्रद्धांजलि

5 years ago

कब तक मुझ से प्यार करोगे? कब तक? जब तक मेरे रहम से बच्चे की तख़्लीक़ का ख़ून बहेगा जब…

रं सभ्यता के गाँव – रवि पतियाल के फोटो

5 years ago

  फिलहाल भीमताल में रह रहे रवि पतियाल डायरेक्टरेट ऑफ़ कोल्ड वाटर फिशरीज़ में वैज्ञानिक हैं. धारचूला की चौंदास घाटी…

रानीखेत के करगेत से कानपुर तक खिंची एक पुरानी डोर

5 years ago

तीस के दशक में कभी रानीखेत तहसील के एक छोटे से गाँव करगेत से निकले पाँच भाइयों ने जब जीवन…

हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 39

5 years ago

बरेली के मिशनरी प्रचारक विलियम बटलर ने पहाड़ में मिशनरी का खूब प्रचार किया था. फतेहपुर के पास ईसाई नगर…

मेंढक कहानी के लेखक गम्भीर सिंह पालनी के साथ मुलाकात

5 years ago

वरिष्ठ कथाकार व कवि गम्भीर सिंह पालनी पिछले 12 नवम्बर 2018 को हल्द्वानी में डॉ. प्रशान्त निगम के पास अपने…

बदलते परिवेश का पहाड़ – पहली क़िस्त

5 years ago

मुझे और मेरे सहपाठी रतन सिंह को जिस दिन चकराता से त्यूनी जाना था उसके एक रात पहले चकराता और…

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 32

5 years ago

  पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम…

हल्द्वानी के पिक्चर हॉल में लगी विनोद कापड़ी की पीहू

5 years ago

मूलतः कुमाऊँ के बेरीनाग इलाके के निवासी और हमारे साथी फिल्मकार-पत्रकार विनोद कापड़ी लगातार काफल ट्री पर अपनी उपस्थिति दर्ज…

बयासी के हुए आज ज्ञानरंजन

5 years ago

आज हिन्दी की सबसे महत्वपूर्ण पत्रिका 'पहल' के यशस्वी सम्पादक और महान कथाकार ज्ञान जी का जन्मदिन है. आज ज्ञान…

कैसे बनता है बरेली का मांझा : एक फोटो निबंध

5 years ago

‘कनकौए और पतंग’ शीर्षक अपनी एक रचना में नज़ीर अक़बराबादी साहेब ने पतंगबाज़ी को लेकर लिखा था: गर पेच पड़…