समाज

एक लड़की और उसका पति जो सर्प था – कुमाऊनी लोककथा

एक बार एक आदमी की एक पत्नी थी. आदमी उससे नाराज था. उसने खुद से कहा, “अगर मैं एक पत्थर को भी तोडूं तो मुझे दो पत्थर मिलते हैं लेकिन अपनी बीवी से मुझे कुछ नहीं मिलता. वह बेवकूफ और बेकार है.” ऐसा सोचते हुए उसने अपनी पत्नी को घर से निकाल दिया. इसके बाद वह औरत एक खेत में जाकर रहने लगी. गुजारा करने के लिए उसने भीख मांगना शुरू कर दिया. A Girl and her Snake Husband

एक दिन उसे एक छोटी सी टहनी मिली जो सांप जैसी दिखाई देती थी. उसने टहनी को एक टोकरी में रख दिया. अगले दिन सुबह उसने देखा कि पूरी टोकरी उस सांप से भर गयी थी. तब उसने उसे पहले से भी बड़ी टोकरी में रखा. अगली सुबह वह टोकरी भी सांप से भर गयी. A Girl and her Snake Husband

उसके बाद वह छिपकर अपने पति के घर पहुँच गयी. उसके पति को उसके आने का पता भी नहीं चला.  उसके बाद उसने सांप को एक भकार में रख दिया. अगले दिन उसने देखा कि वह भी सांप से भर गया था.  नौकर के माध्यम से उसके पति को मालूम पड़ गया कि वह लौट आई है. पति भूल गया कि उसने अपनी पत्नी को घर से निकाल दिया था और उसे वहीं रहने की इजाजत दे दी. A Girl and her Snake Husband

औरत ने अपने पति को बताया कि उसने एक पुत्र को जन्म दिया है जिसे रखने के लिए एक घर की आवश्यकता होगी.  उसके लिए एक के तिमंजिला भवन बनवा दिया और सांप  को उस में रख दिया गया.  अगले दिन सांप ने पूरे तिमंजिले घर को ही खुद से भर दिया.

फिर पत्नी ने अपने पति से कहा कि बच्चा बड़ा हो गया है और उसका विवाह कर दिया जाना चाहिए.  यह सुनकर ब्राह्मण पति कुछ देर तक संकोच में सोचता रहा कि  उस सांप से विवाह कौन करेगा.  उसने हर जगह ढूंढा लेकिन उसके सर्प पुत्र के लिए वधू नहीं मिली.

फिर उसे एक ब्राह्मण कन्या मिली जिसके पिता का देहांत हो चुका था.  उसने कन्या की मां को 6000 रुपये दिए और उसे अपने घर लाकर अपने बेटे अर्थात सांप से उसकी शादी करा दी. जब कन्या बड़ी हुई तो उसकी सास ने उसे कहा कि जाकर उसके बेटे के शरीर पर तेल की मालिश कर दे.  वह पहले दिन अपने पति के पास गई तो सांप ने उसके लिए जगह बनाने की नीयत से अपना सिर देहरी के एक तरफ को रख दिया.  बेचारी ने पूरी रात बहुत असुविधा में गुजारी.  उसके सोने के लिए पर्याप्त जगह थी ही नहीं.  वह अपने दुर्भाग्य पर रोने लगी. A Girl and her Snake Husband

अगली रात उसकी सास ने उससे कहा कि वह अपने पति का इंतजार करे.  इस बार सांप ने उसके लिए पिछली बार से अधिक जगह छोड़ी.  वह आराम से उसके शरीर की मालिश कर सकी और सो भी सकी. तीसरे दिन उसने अपनी सास को बताया  कि सांप ने उसके लिए और भी अधिक जगह बना दी है.  सास ने अपनी बहू से कहा कि वह रोज जाकर देखे कि क्या होता है.  सांप ने अपनी पत्नी के लिए तीनों मंजिलें छोड़ दी. उसने अपने शरीर को इतना छोटा बना लिया की पत्नी सभी कमरों में आ-जा सके.  चौथे दिन सांप ने उसके लिए आधा बिस्तर छोड़ दिया और अपनी केंचुल उतार दी. वह एक सुदर्शन पुरुष में बदल गया. A Girl and her Snake Husband

कन्या बहुत खुश हो गई और उसने जाकर सारी बातें अपनी सास को बताईं.  देखने के लिए जब सास गई  तो उसे वही सांप मिला क्योंकि अपनी पत्नी के जाते ही उसने केंचुल फिर से पहन ली थी.

सास ने अपनी बहू से कहा की अगली बार वह सांप की केंचुल को जला दे और साथ ही अपनी चोली को भी जला दे. अगली बार जब बहू ऐसा कर रही थी तो सांप की केंचुल का एक टुकड़ा जमीन पर गिर गया.  नींद से उठकर उसके पति ने पूछा  उसकी केंचुल कहां गई तो वह बोली, “ मुझे नहीं पता.  मेरी चोली भी गायब है.”  इसके बाद वह यह बताने को खुशी-खुशी अपनी सास के पास गई. 

उधर उसके पति को केंचुल का गिरा हुआ टुकड़ा मिल गया.  उसने उसे बड़ा बनाया और फिर खुद को उस से ढक लिया.  बहू ने अपनी सास को बताया की उसका पति आदमी बन चुका है लेकिन जब वह वहां गई तो उसने उसी सांप को देखा. 

सास ने लौटकर अपने बहू से कहा कि उसने केंचुल को पूरी तरह नहीं जलाया था.  अपनी बहू से कहा कि  वह उसकी चोली ले जाए और केंचुल को सावधानी से जलाए. छठे दिन बहू उसके पास गई और रात को जब सांप ने अपनी केंचुल उतारी, उसने बहुत चालाकी से उसे उठाकर अपनी सास की चोली के साथ जला दिया. 

सर्प-मानव नींद से जागा तो उसे उसकी केंचुल नहीं मिली. उसकी पत्नी ने कहा कि वह नहीं जानती केंचुल और उसकी चोली को कौन लेकर गया.  वह भागकर अपनी सास के पास गई और उसे बताया कि अब उसका पति मनुष्य बन गया है और  फिर से सांप नहीं बन सकता.  मां बहुत खुश हुई.

मान्यता है कि धरती में गड़ा हुआ धन सांप में बदल जाता है और यदि उस सांप को मनुष्य अपने घर में रख लें तो वह मनुष्य बन जाता है. A Girl and her Snake Husband

[यह कथा ई. शर्मन ओकले और तारादत्त गैरोला की 1935 में छपी किताब ‘हिमालयन फोकलोर’ से ली गयी है. मूल अंग्रेजी से इसका अनुवाद अशोक पाण्डे ने किया है. इस पुस्तक में इन लोक कथाओं को अलग अलग खण्डों में बांटा गया है. प्रारम्भिक खंड में ऐतिहासिक नायकों की कथाएँ हैं जबकि दूसरा खंड उपदेश-कथाओं का है. तीसरे और चौथे खण्डों में क्रमशः पशुओं व पक्षियों की कहानियां हैं जबकि अंतिम खण्डों में भूत-प्रेत कथाएँ हैं. A Girl and her Snake Husband]

‘हिमालयन फोकलोर’ से अन्य कहानियां पढ़ें – 
बहादुर पहाड़ी बेटा और दुष्ट राक्षसी की कथा
एक तीतर को लेकर हुए घमासान में एक परिवार के उजड़ने की लोककथा

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