हैडलाइन्स

उत्तराखण्ड के 80 प्रतिशत शिक्षित युवाओं का राज्य से बाहर पलायन

भारत में पलायन के रुझान दिखाने वाले जनगणना के नए आंकड़े पलायन के विषय में उत्तराखण्ड की बुरी होती जा रही स्थिति को दिखाते हैं. आंकड़ों के अनुसार उत्तराखण्ड से पलायन कर चुकी आबादी में 25 से 29 साल के युवाओं की संख्या बढ़ती जा रही है. इस आयु वर्ग के युवा पलायन कर चुकी आबादी का 11 प्रतिशत हैं.

उत्तराखण्ड से रोजगार और बुनियादी सुविधाओं के अभाव में पलायन कर चुकी कुल आबादी में से एक तिहाई 20 से 34 साल के युवा हैं. 20 से 34 साल के युवा मिलकर कुल पलायन कर चुकी आबादी का एक तिहाई हैं और इनकी संख्या है 13.5 लाख.

पलायन कर चुकी कुल आबादी का दो तिहाई हाई स्कूल पास है, इनकी संख्या कुल संख्या 28,68,910 है.  

आंकड़े यह भी बताते हैं कि उत्तराखण्ड के आधे से ज्यादा ग्रेजुएट और डिप्लोमाधारी राज्य से पलायन कर चुके हैं.

टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक कुल मिलाकर राज्य के 80 प्रतिशत शिक्षित युवा पलायन कर चुके हैं.

आंकड़े चौंकाने वाले नहीं हैं. सभी जानते हैं कि राज बनने के 2 दशक बाद भी रोजगार और बेहतर जीवन की तलाश में युवाओं का पहाड़ों से पलायन जारी है. आंकड़ों में इनकी संख्या चौंकाने वाली है. एक छोटे से प्रदेश के लिए, जिसकी कुल आबादी एक करोड़ से कुछ ही ज्यादा हो, यह बहुत चिंताजनक है.

स्थिति बताती है कि राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में हाथ बांटने को तैयार युवाओं के पास उत्तराखण्ड में करने के लिए कुछ नहीं है. रोजगार के मामूली अफसर भी 4 मैदानी जिलों, नैनीताल, ऊधम सिंह नगर, हरिद्वार और देहरादून में सिमट कर रह गए हैं. सड़क, बिजली, पानी, अस्पताल, स्कूल आदि बुनियादी सुविधाओं का पहिया भी इन मैदानी जिलों के दलदल में धंसकर रह जाता है.

नीति नियंताओं के पास रोजगार के नाम पर दारू के 2-4 फैक्ट्रियाँ लगाने के आलावा कोई दृष्टि नहीं है. यही हाल बुनियादी ढांचे का भी है. देश में लोकप्रिय कुछ जगहों को छोड़कर शेष पहाड़ी इलाकों की सुध नहीं ली जाती.      

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

Recent Posts

उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र का विकास व रणनीतियाँ

उत्तराखंड की भौगोलिक, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विशेषताएं इसे पारम्परिक व आधुनिक दोनों प्रकार की सेवाओं…

3 days ago

जब रुद्रचंद ने अकेले द्वन्द युद्ध जीतकर मुगलों को तराई से भगाया

अल्मोड़ा गजेटियर किताब के अनुसार, कुमाऊँ के एक नये राजा के शासनारंभ के समय सबसे…

7 days ago

कैसे बसी पाटलिपुत्र नगरी

हमारी वेबसाइट पर हम कथासरित्सागर की कहानियाँ साझा कर रहे हैं. इससे पहले आप "पुष्पदन्त…

7 days ago

पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद

आपने यह कहानी पढ़ी "पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप". आज की कहानी में जानते…

7 days ago

चतुर कमला और उसके आलसी पति की कहानी

बहुत पुराने समय की बात है, एक पंजाबी गाँव में कमला नाम की एक स्त्री…

7 days ago

माँ! मैं बस लिख देना चाहती हूं- तुम्हारे नाम

आज दिसंबर की शुरुआत हो रही है और साल 2025 अपने आखिरी दिनों की तरफ…

7 days ago