इस साल मार्च में ‘रमोलिया हाउस की शुरुआत ‘कलर्स ऑफ होप’ चित्रकला प्रदर्शनी से हुई थी. इस प्रदर्शनी में उत्तराखण्ड के 10 युवा फाइन आर्टिस्टों की कला को प्रस्तुत किया गया. इस प्रदर्शनी की लोकप्रियता को देखते हुए हम ‘कलर्स ऑफ होप सीजन-2’ का आयोजन कर रहे हैं. दूसरे सीजन में उत्तराखण्ड के विभिन्न कस्बों के 12 आर्टिस्ट आपके सामने अपनी पेंटिंग्स लेकर आ रहे हैं. सभी प्रतिभाशाली चित्रकार फाइन आर्ट की डिग्री हासिल करने के बाद कला जगत में अपना मुकाम बनाने की जद्दोजहद में लगे हैं. 16 और 17 दिसंबर 2023 को यह प्रदर्शनी सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक सभी के लिए खुली रहेगी. यहाँ पहुँच कर आप मौजूद सभी कलाकारों से बातचीत भी कर सकेंगे. नीचे पढ़िए कलाकारों का संक्षिप्त परिचय. (Colors of Hope Season-2)
पूजा पडियार एक लोकप्रिय ऐपण आर्टिस्ट हैं. पूजा जब छठी कक्षा में थीं तभी से उनका कला के लिए गहरा रूझान दिखाई देने लगा था. तभी से पेंटिंग में हाथ आजमाते हुए पिछले आधा दशक से उन्होंने उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मण्डल की लोककला ऐपण पर अपने काम को केंद्रित कर दिया. वे ‘ऐपण क्रिएशंस’ नाम से सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर अपने काम को पेश करती रही हैं.
पूजा अब तक 40 हजार वर्ग फीट से अधिक दीवारों को सिर्फ अपनी ‘ऐपण वॉल पेंटिंग’ से सजा चुकी हैं. कला के क्षेत्र में अपने शानदार योगदान के लिए उन्हें उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री और राज्यपाल द्वारा सम्मानित किया जा चुका है.
पूजा कई स्कूलों में ऐपण की कक्षाएं ले कर छात्र-छात्राओं के बीच इस कला के प्रति अनुराग बनाये रखने के लिए भी निरंतर सक्रिय हैं.
अब वे अपनी पेंटिंग्स के जरिए उत्तराखंड की परंपराओं और रीति-रिवाजों को भी कैनवास पर उतारने का काम कर रही हैं. फिलहाल वे डीएसबी कैम्पस, नैनीताल से बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स थर्ड ईयर की छात्रा हैं.
हल्द्वानी में रहने वाली भावना एसएसजे कैम्पस, अल्मोड़ा से फाइन आर्ट में मास्टर्स हैं. पिछले छह सालों से कला के क्षेत्र में हाथ आजमा रहीं भावना को डिजाइनिंग के काम में ख़ास रुचि है. काफल ट्री की अभिन्न सहयोगी भावना प्रतिभागी कलाकार होने के साथ ही इस प्रदर्शनी की संयोजक भी हैं.
गरिमा बी.एफ.ए की पढ़ाई करने के बाद फ्रीलांसर आर्टिस्ट के तौर पर काम करते हुए शिक्षक की भूमिका का भी निर्वाह कर रही हैं. वे एक थिएटर कलाकार भी हैं और कुमाउनी शार्ट फ़िल्म के अलावा हाल के सुपरहिट कुमाऊनी गीत गुलाबी शरारा में भी दिखाई दे रही हैं.
भीमताल की दिव्या जोशी ने पिछले साल फाइन आर्ट्स से मास्टर्स पूरा किया और इन दिनों एक फ्रीलांसर के तौर पर काम कर रही हैं. दिव्या एक्रेलिक, वाटरकलर, पेंसिल आदि माध्यमों से चित्रकारी करती हैं.
पिथौरागढ़ की पारुल ने हाल ही में फाइन आर्ट्स से मास्टर्स की डिग्री पूरी की है. फिलहाल फ्रीलांसर के तौर पर काम कर रहीं पारुल उत्तराखण्ड की लोक चित्रकला ऐपण पर काम करते हुए उसे संरक्षित करने का इरादा रखती हैं.
बागेश्वर की रहने वाली पूर्णिमा रौतेला ने सोबन सिंह जीना विश्व विद्यालय से फाइन आर्ट में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है। पिछले 6 साल से पूर्णिमा कला के क्षेत्र में काम कर रही हैं. उन्हें डिजाइन वर्क, ऐपण कला, मंडाला आर्ट में काम करना ज्यादा पसंद है.
फाइन आर्ट्स में पोस्ट ग्रेजुएशन कर चुकी अपर्णा पनेरू पिछले 7 सालों से आर्ट और डिजाइन के क्षेत्र में काम कर रही हैं. कुमाऊँ की लोक कला ऐपण में ख़ास काम करने वाली अपर्णा पोट्रेट, लैंडस्केप, चारकोल आदि माध्यमों में बेहतरीन कलाकृतियाँ तैयार कर चुकी हैं. फिलहाल वे फ्रीलांसर के तौर पर काम कर रहीं हैं.
शिवानी उत्तराखंड के जिला उद्यम सिंह नगर के रुद्रपुर की रहने वाली हैं. फिलहाल वे कुमाऊँ विश्विद्यालय के डीएसबी कैम्पस में बीएफए, प्रथम सेमेस्टर की छात्रा हैं.
शिवानी बाल कल्याण राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान से पुरस्कृत हैं. अपनी कला में वे प्रायः प्राकृतिक सौन्दर्यत को दर्शाने की कोशिश करती हैं. वे रसियन कलाकार निकोलस रोएरिच के द्वारा उकेरे गए प्रकृति के चित्रों से प्रेरित हैं.
कवीश नबियाल उत्तराखंड के सीमांत क़स्बे धारचूला के रहने वाले हैं. इन्होंने अपनी फाइन आर्ट्स की पढ़ाई डीएसबी कैंपस नैनीताल से की और मास्टर एसएसजे कैंपस अल्मोड़ा से किया.
कवीश कला को अपने ख़ास नजरिए से प्रस्तुत करते हैं, उनके आर्टवर्क में कैरिकेचर, एब्सट्रैक्ट पेंटिंग, लैंडस्केप पेंटिंग, टेक्सचर पेंटिंग, फ्लुइड पेंटिंग शामिल है. उनको हर माध्यम में काम करना पसंद है. कवीश अपनी कला के माध्यम से अपने भाव दूसरे तक पहुँचाने की कोशिश करते हैं.
थल, पिथौरागढ़ के रहने वाले ऋतुराज सिंह एसएसजे कैम्पस, अल्मोड़ा से फाइन आर्ट में मास्टर्स की डिग्री पूरी की है. फिलहाल फ्रीलांसर के तौर पर काम कर रहे हैं. वे चित्रकला के विभिन्न माध्यमों के साथ जैसे, वाटरकलर, एक्रेलिक, पेन्सिल, सॉफ्ट पेस्टल आदि पर काम करते हैं.
बिलाल एस.एस.जे. विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा से चित्रकला में पोस्ट ग्रेजुएशन के छात्र हैं. उनकी खुद की विशिष्ट कलात्मक शैली है. वे अपने कला-कौशल को बेहतर बनाने के लिए कड़ी मेहनत करने और चुनौतीपूर्ण अवसरों की तलाश करने में गर्व महसूस करते हैं.
अल्मोड़ा जिले के कौसानी क्षेत्र में रहने वाले प्रकाश एस बिष्ट ने इस साल फाइन आर्ट्स से मास्टर्स पूरा किया और इन दिनों एक फ्रीलांसर के तौर पर काम कर रहे हैं. प्रकाश एक्रेलिक, वाटरकलर, पेंसिल आदि माध्यमों से चित्रकारी करते हैं. (Colors of Hope Season-2)
इसे भी पढ़ें : रूप दुर्गापाल: अल्मोड़ा की बेटी का भारतीय टेलीविजन स्टार बनने का सफर
काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…
इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …
तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…