विश्व पर्यटन दिवस की शुरूआत 1980 में हुई. तब से हर वर्ष 27 सितम्बर को दुनिया भर में विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है. विश्व में पर्यटन के प्रति जागरूकता व प्रचार-प्रसार के लिए इस दिन को चुना गया. प्रत्येक वर्ष एक सहयोगी देश की सहभागिता व थीम के साथ इस दिवस को पर्यटकों तक पहुँचाया जाता है. इस वर्ष का सहयोगी देश भारत है और थीम है ‘टूरिज्म और रोजगार: सब के लिए एक बेहतर भविष्य’(Tourism and Jobs: A better future for all).
पर्यटन हमारी जरूरत के साथ-साथ विश्व भर में रोजगार का प्रमुख साधन भी है. वर्ड टूरिज्म व ट्रैवल काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार हर 10 में से एक नौकरी कहीं न कहीं पर्यटन सेक्टर से आती है. दुनिया भर में पर्यटन सेक्टर 30 करोड़ से ज्यादा नौकरियॉं देता है जो कुल रोजगार का 10% है. दुनिया की कुल जीडीपी में पर्यटन का योगदान 10.4% है. इन आँकड़ों से हम समझ सकते हैं कि पर्यटन कितना अहम योगदान अदा करता है दुनिया भर में.
बात करते हैं भारत की. पर्यटन मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 2018 में कुल 1.56 करोड़ विदेशी पर्यटक भारत आए. वहीं दूसरी तरफ भारत ने पर्यटन से अपने विदेशी मुद्रा कोष में 28.5 अरब अमेरिकी डॉलर जोड़े. भारतीय जीडीपी में टूरिज्म का योगदान कुल जीडीपी का 3.6% है. वहीं रोजगार के मामले में टूरिज्म देश भर में 2.8 करोड़ नौकरियॉं देता है. 167 देशों को वीजा ऑन अराइवल देने के साथ ही भारत में अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटकों में काफी इजाफा देखा गया है. घरेलू पर्यटन की बात करें तो 2017 में 160 करोड़ से ज्यादा घरेलू पर्यटक किसी न किसी रूप में पर्यटन के लिए अपने घरों से निकले. पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने बहुत सी नई योजनाएँ बनाई हैं जिनमें प्रमुख हैं-स्वदेश दर्शन योजना, प्रसाद योजना (PRASHAD-Pilgrimage Rejuvenation and Spiritual, Heritage Augmentation Drive), उड़ान योजना (UDAN-Ude Desh ka Aam Nagarik), वीजा ऑन अराइवल, टूरिस्ट पुलिस, 24×7 टूरिस्ट हेल्पलाइन नंबर आदि.
पर्यटन के नजरिये से देखा जाए तो भारत विविधताओं से भरा देश है. हमारी विविधता ही हमारी पहचान है. सँपेरों के देश से लेकर दुनिया के सबसे बड़े बाजार तक का सफर हमने पिछले 70 सालों में तय किया है. खूबसूरत बर्फीले पहाड़ों से लेकर रेगिस्तान, बीच, समुद्र, नदियॉं, गॉंव, सांस्कृतिक व ऐतिहासिक विरासत, विभिन्न प्रकार के व्यंजन, योगासन और भी न जाने कितना कुछ है इस देश में अनुभव करने के लिए. भारत एक ऐसा देश है जहॉं बारह महीने किसी न किसी राज्य की ख़ूबसूरती का अनुभव लिया जा सकता है. कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और उत्तर-पूर्व से लेकर गुजरात तक हर राज्य अपने आप में अलग ही अनुभव के लिए जाना जाता है. योगा टूरिज्म, मेडिकल टूरिज्म, हैरिटेज टूरिज्म, कलिनरी टूरिज्म (पाक कला) आदि ऐसे क्षेत्र रहे हैं जिनमें भारतीय पर्यटन ने पिछले कुछ वर्षों में अभूतपूर्व प्रगति की है. भारत में योग की लोकप्रियता को देखकर ही संयुक्त राष्ट्र ने हर वर्ष 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने की घोषणा की.
भारत में पर्यटन की संभावनाएँ बहुतायत हैं लेकिन हम अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल अब तक नहीं कर पाए हैं. केरल, राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली जैसे राज्यों को छोड़ दें तो अन्य राज्यों के कुछ ही हिस्सों में हम विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने में कामयाब हो पाए हैं. शहरी जिंदगी से आज पर्यटक ऊब चुके हैं और गाँवों व प्रकृति का रूख करना चाहते हैं जिसके लिए भारत एक आदर्श स्थान साबित हो सकता है. जरूरत है इंफ़्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की, मानव संसाधन में कौशल व व्यावसायिक सोच पैदा करने की. उत्तराखंड जैसे राज्य में 700 से ज्यादा गॉंव ख़ाली हो चुके हैं. जरूरत है ऐसे गाँवों को दुबारा बसाने की और रोजगार के रूप में होम स्टे को आगे बढ़ाने की और यह सब तक हो पाएगा जब सड़क, स्वास्थ, सुरक्षा, स्वच्छता व सहायता की भावना को बढ़ावा दिया जाएगा.
भारत में हर वर्ष पर्यटन बढ़ता ही है. वर्ड इकॉनॉमिक फोरम की हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत वर्ड टूरिज्म इंडेक्स में 2017 के 40वें पायदान से 2019 में 34वें पायदान पर पहुँच चुका है. ऑनलाइन टूरिज्म मार्केट बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है. विदेशी टूरिज्म कंपनियों की नजर भारतीय बाजार पर टिकी हुई हैं. तकनीक के विकास ने दुनिया को ग्लोबल विलेज में तब्दील कर दिया है. आज की तारीख में सब कुछ पर्यटकों की पहुँच से मात्र एक क्लिक दूर है. यहॉं आपने अपने मोबाइल में होटल, एयरलाइन, टैक्सी, गाइड, पैकेज टूर आदि के लिए एक क्लिक किया और दूसरी तरफ आपकी सारी सर्विसेज बुक हो गई. तकनीक ने पर्यटन को सुगम, सरल व वैल्यू फॉर मनी बना दिया है. आज आप कम से कम बजट में अधिक से अधिक सर्विसेज का फायदा ले सकते हैं लेकिन इसके लिए आपका स्मार्ट ट्रैवलर होना अनिवार्य शर्त है.
आज के समय में स्मार्ट ट्रैवलर के साथ-साथ पर्यावरण के प्रति सजग होना भी अति आवश्यक है. जो यात्री पर्यावरण को दिमाग में रखकर यात्रा करते हैं वह सीधे तौर पर सतत विकास व पर्यावरण संरक्षण में राज्यों तथा विभिन्न देशों की मदद करते हैं. यह हमारी नैतिक व पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी भी है. आइये पर्यटन दिवस के इस मौक़े पर खुद से एक वादा करें कि जब भी यात्रा पर जाएँगें गंतव्य को पहले से ज्यादा सुंदर छोड़ कर आएँगे.
नानकमत्ता (ऊधम सिंह नगर) के रहने वाले कमलेश जोशी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक व भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्ध संस्थान (IITTM), ग्वालियर से MBA किया है. वर्तमान में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के पर्यटन विभाग में शोध छात्र हैं.
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