देश में पहली बार तेल और गैस के लिए खोजे गये ब्लॉक की खुली नीलामी हुई. 55 ब्लॉक की इस नीलामी सिस्टम में निजी क्षेत्र की कंपनी वेदांता लिमिटेड ने 41 ब्लॉक हासिल किये. ओएनजीसी को केवल 2 ब्लॉक ही हासिल हुए. अन्य सरकारी उपक्रमों ऑयल इंडिया को 9 और गेल को 1 ब्लॉक मिला.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अप्रैल में खुला क्षेत्र लाइसेंसिंग नीति के तहत तेल एवं गैस ब्लॉक की नीलामी में लिये बोली लगाने वाले विजेताओं को संबंधित ब्लॉक सौंपने के अधिकार वित्त और पेट्रोलियम मंत्रालयों को दे दिये थे. इस नीति के तहत पहली नीलामी में वेदांता की तेल एवं गैस कंपनी केयर्न इंडिया ने सभी 55 ब्लॉक के लिए बोली लगायी. सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) ने अपने बलबूते पर अथवा संयुक्त रूप से 37 ब्लॉक के लिए बोलियां सौंपी. इसी प्रकार सार्वजनिक क्षेत्र की ही ऑयल इंडिया लिमिटेड ने 22 ब्लॉक के लिये बोली लगायी.
देश के सार्वजनिक उपक्रमों में ओएनजीसी एक ऐसा नाम है जो अब तक घाटे में नहीं चल रहा है. भले ही देश के 157 सार्वजनिक उपक्रम एक लाख करोड़ के घाटे में चल रहे हों मगर ओएनजीसी जैसी तेल की कंपनियां भारत सरकार के लिये हमेशा सोने के अंडे देने वाली मुर्गीयां रही हैं.
ओएनजीसी तेल और गैस के क्षेत्र में देश की सबसे बड़ी कंपनी है. जिसने जून में ख़त्म हुई तिमाही में 6,143.88 करोड़ रुपये का मुनाफ़ा कमाया था. ओएनजीसी ने स्वयं साल दर साल आधार पर 58.15 फीसदी का मुनाफ़ा दर्ज किया है. इतने मुनाफे के बावजूद 55 गैस ब्लॉक के आवंटन में निजी क्षेत्र की वेदांता कंपनी ने ओएनजीसी को पछाड़ दिया.
पिछले साल सितंबर के माह में ही भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा की ओएनजीसी बोर्ड के नान-आफिसियल डारेक्टर पद पर तीन वर्ष की नियुक्ति को लेकर विवाद भी हुआ था.
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